अफगानिस्तान ने पाक को चेताया, तालिबान को समर्थन देना जारी रखा तो चुकानी होगी भारी कीमत
तालिबान को लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति देखने को मिल रही है। अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए साफ तौर पर कह दिया है कि अगर वह आतंकी संगठन तालिबान को समर्थन देना जारी रखता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, सालेह ने अपने बयान में यह भी कहा कि पाकिस्तान के पास एक मौका है कि वह शांति वार्ता का आयोजक बनते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। उन्होंने पाक के लिए यह भी कहा कि उसे अफगानिस्तान का विश्व स्तर साझेदार बनने का यह अंतिम अवसर है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान पाकिस्तान पर देश में छद्म युद्ध करने का आरोप लगाता रहता है।
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में कई अलग-अलग आतंकवादी समूह फिलहाल सक्रिय हैं। इन आतंकवादी समूह में कम से कम पाकिस्तान के 6500 नागरिक शामिल हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने भी माना है कि अफगानिस्तान में हिंसा में वृद्धि हो रही है। अफगानिस्तान में अमेरिका के शीर्ष जनरल ने कहा कि देश में सुरक्षा की स्थिति खराब होती जा रही है क्योंकि अमेरिका अपने तथाकथित ‘‘हमेशा के युद्ध’’ को रोकने जा रहा है। जनरल ऑस्टिन एस. मिलर ने कहा कि तालिबान देश में जिलों पर तेजी से कब्जा करता जा रहा है जिनमें कई जिलों के सामरिक महत्व हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राष्ट्रीय सुरक्षा बल के सहयोग के लिए तैनात मिलिशिया के कारण देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है। मिलर ने अफगानिस्तान में संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल उनके पास हथियार है और वे अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों का सहयोग करने में सक्षम हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि केवल राजनीतिक समाधान से ही युद्धग्रस्त देश में शांति लौट सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक समझौते से ही अफगानिस्तान में शांति आएगी। और यह महज विगत 20 वर्ष से नहीं है। वास्तव में यह पिछले 42 वर्षों से है।’’
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान में हिंसा व अराजकता उत्पन्न हो सकती है और यदि तालिबान का इसपर नियंत्रण होगया तो पाकिस्तान इस देश से लगी सीमा बंद कर देगा। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान पहले ही 35 लाख अफगानिस्तानियों को शरण दे चुका है, लेकिन अब वह और शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करेगा। वह मध्य मुल्तान शहर में आयोजित साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, हम और शरणार्थियों को नहीं ले सकते, हम अपनी सीमा बंद कर देंगे। हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान देश में शांति के कूटनीतिक प्रयास जारी रखेगा और इसके लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए नेतृत्व का स्वागत करता रहेगा। साल 1989 में तत्कालीन सोवियत संघ की वापसी के बाद मुजाहिदीन समूहों के बीच छिड़ी आपसी लड़ाई के चलते लाखों अफगानिस्तानी भागकर पाकिस्तान आ गए थे। अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद अमेरिका नीत गठबंधन ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से उखाड़ फेंका था। हालिया कुछ सप्ताह में तालिबान लड़ाकों ने दक्षिणी और उत्तरी अफगानिस्तान के विभिन्न जिलों पर कब्जा कर लिया है। साथ ही वह सरकारी सुरक्षा बलों को समर्पण कराने और उनके हथियार तथा सैन्य वाहनों को जब्त करने के प्रयास कर रहा है।
जून पाकिस्तान के एक शीर्ष मंत्री ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि अफगान तालिबान आतंकवादियों के परिवार राजधानी इस्लामाबाद के मशहूर इलाकों समेत विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं और कभी-कभी स्थानीय अस्पतालों में उनका इलाज भी किया जाता है। पाकिस्तान अफगानिस्तान के नेताओं की इन आरोपों को निरंतर खारिज करता रहा है कि तालिबान…अफगानिस्तान में विद्रोही गतिविधियों को निर्देशित करने और आगे बढ़ाने लिए पाकिस्तानी धरती का उपयोग करता है। पाकिस्तान के निजी टीवी चैनल जियो न्यूज पर रविवार को प्रसारित साक्षात्कार में गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा, तालिबानियों के परिवार यहां पाकिस्तान के रवात, लोही भेर, बहारा कहू और तरनोल जैसे इलाकों में रहते हैं। मंत्री ने जिन इलाकों का जिक्र किया उन्हें इस्लामाबाद के मशहूर उपनगरीय इलाके कहा जाता है। राशिद ने उर्दू-के चैनल से कहा, कभी-कभार उनके (लड़ाकों) के शव अस्पताल लाए जाते हैं, तो कभी-कभी वे इलाज के लिये यहां आते हैं।