अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का सर्वश्रेष्ठ तरीका बस तालिबान के साथ वार्ता है-इमरान खान
पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन (Antony Blinken) के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. पाक पीएम ने कहा है कि उन्होंने आज से पहले इतनी अनभिज्ञता या नादानी नहीं देखी है. गौरतलब है कि ब्लिंकन ने कहा था कि अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपनी सेनाओं को बुलाने के बाद अमेरिका, पाकिस्तान से अपने संबंधों पर फिर से विचार करेगा.
पाक पीएम इमरान ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का सर्वश्रेष्ठ तरीका बस तालिबान के साथ वार्ता है. साथ ही महिला अधिकारों और खास तरीके से सरकार चलाने के लिए तालिबान के साथ वार्ता ही एकमात्र विकल्प है. पाक पीएम इमरान ने यह बातें सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कही हैं. तालिबान ने जब से अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है उसके बाद से इमरान खान का यह पहला इंटरव्यू है.
‘तालिबान के साथ चलना ही पड़ेगा’
अफगानिस्तान में तालिबान ने इस्लामिक शासन का ऐलान किया है. इमरान ने कहा, ‘तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और अब यहां की सरकार के साथ मिलकर, उनके साथ में मिलकर और सभी गुटों को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा. अफगानिस्तान में हो सकता है कि 40 साल के बाद शांति आ जाए. लेकिन अगर कुछ गलत हुआ और हम इसके लिए परेशान हैं, फिर सब-कुछ अशांत हो जाएगा. यहां पर सबसे बड़ा मानवधिकार संकट पैदा होने वाला है, एक बड़ा शरणार्थी संकट आने वाला है.’
उन्होंने कहा कि ऐसे में यह सोचना कि कोई बाहर वाला अफगान महिलाओं को उनके अधिकार देगा, पूरी तरह से गलत है. अफगान महिला मजबूत हैं और उन्हें थोड़ा समय देने की जरूरत है. उन्हें उनके अधिकार मिलेंगे. इमरान खान के शब्दों में, ‘महिलाओं के पास समाज में वो क्षमता होनी चाहिए कि वो जीवन में अपनी सभी संभावनाओं को जी सकें.’
तालिबान ने जब से सत्ता संभाली है तब से ही वो मानवाधिकार और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर अपनी एक नई तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही तालिबान ने जर्नलिस्ट्स को भी काम करने की आजादी दी है. हालांकि महिलाओं को तालिबान की अंतरिम सरकार से बाहर रखा गया है. तालिबान ने महिलाओं को घर में रहने के लिए कहा है और उनकी शिक्षा पर भी प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
तालिबान को अगर नहीं मिली मदद तो…
तालिबान के शासन के खिलाफ अफगानिस्तान में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. कई जर्नलिस्ट्स के गिरफ्तार होने और कई को बुरी तरह से पीटेन की भी खबरें आई हैं. इमरान खान ने यह भी कहा है कि तालिबान को थोड़ा समय देने की जरूरत है. साथ ही वो यह कहना भी नहीं भूले कि अगर तालिबान को मदद नहीं मिली तो फिर एक अशांति की स्थिति पैदा हो सकती है.
इमरान खान ने कहा, ‘कोई भी कठपुतली सरकार को अफगानिस्तान में लोगों का समर्थन नहीं मिलेगा. ऐसे में बस बैठे रहना और सोचना कि हम उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं, इसकी जगह बेहतर होगा कि हम उनके साथ वार्ता करें.’
इमरान ने इसी दौरान अमेरिका के साथ पाक के संबंधों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ रिश्ते काफी खतरनाक हो चुके हैं. इमरान के शब्दों में, ‘पाकिस्तान, अमेरिका के लिए बस एक किराए की बंदूक की तरह है. वो हमारे साथ आए क्योंकि उन्हें अफगानिस्तान में युद्ध जीतना था और ऐसा हो नहीं सका.’
अमेरिका की आलोचना
खान ने इस दौरान अमेरिका को वॉर्निंग भी दी. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने लक्ष्यों को सेना के दम पर हासिल नहीं कर सकता है. उसे इस समस्या को दूर करने के लिए राजनीतिक तौर पर प्रयास करने चाहिए थे. इमरान खान ने इससे पहले अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के जाने की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि जब से तालिबान ने टेकओवर किया है तब से ही उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कोई बात नहीं हुई है.
इमरान की मानें तो अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन का बयान नादानी से भरा हुआ था. ब्लिंकन ने अमेरिकी कांग्रेस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी को बताया कि पाकिस्तान के कई हित हैं और कई हित अमेरिका के हितों से टकराते हैं. इमरान की मानें तो 9/11 हमलों के बाद से पाकिस्तान के लोगों ने भी कई आतंकी हमलों में अपनी जान गंवाई है.