अब CM योगी आदित्यनाथ की मंजूरी पर ही होंगे ट्रांसफर
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर को लेकर जारी घमासान के बीच बड़ी खबर है. लोक निर्माण विभाग, चिकित्सा विभाग और शिक्षा विभाग में हुए तबादलों के लेकर किरकिरी के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए लागू की गई ट्रांसफर पॉलिसी को समाप्त कर दिया है. मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक, नई ट्रांसफर पॉलिसी 15 जून 2022 से खत्म कर दी गई है. अब जो भी ट्रांसफर किए जाएंगे वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुमोदन से किए जाएंगे.
दरअसल, यूपी के स्वास्थ्य विभाग में 30 जून को अचानक से कई ट्रांसफर किए गए थे, जिसे लेकर खुद उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सवाल उठाए थे और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर जवाब तलब किया था. इसके बाद पीडब्लूडी विभाग और शिक्षा विभाग में भी बड़े पैमाने पर तबादलों को लेकर अनियमितताएं सामने आईं थीं, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद मामले का संज्ञान लेते हुए जांच बैठाई थी. इस मामले में अभी तक कई अफसरों पर गाज गिर चुकी है, जबकि कई अन्य राडार पर हैं.
क्या थी ट्रांसफर पॉलिसी?
सरकार की नई ट्रांसफर नीति के मुताबिक ग्रुप ‘क’ और ‘ख’ के जिन अधिकारियों को एक जिले में तीन साल हो गए हैं, और एक मंडल में सात साल हो गए हैं, उनके लिए तबादला की व्यवस्था की गई थी. इसके साथ ही समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के सिर्फ 20 प्रतिशत कर्मचारियों का तबादला किया जाना था. वहीं, ग्रुप ‘ग’ एवं ‘घ’ के 10 फीसदी कर्मचारियों के ट्रांसफर होने थे. बता दें कि इसमें ग्रुप ‘ख’ एवं ‘ग’ के कर्मचारियों का तबादला मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम पर भी किया जाना था. लेकिन अधिकारियों ने नियमों को ताख पर रखकर मनमाने तरीके से ट्रांसफर किए. इतना ही नहीं एक कर्मचारी के दो दो जिले में ट्रांसफर कर दिए गे, तो जिनकी मृत्यु हो चुकी है उसे भी नई पोस्टिंग दे दी गई. सकेगा.गौरतलब है कि बीते दिनों यूपी सरकार के कई विभागों में तबादले को लेकर घमासान देखने को मिला था. यूपी सरकार के कई मंत्रालयों में तबादले को लेकर विवाद देखने को मिला था. बता दें कि इस ट्रांसफर पॉलिसी को इसी साल जून में लागू किया गया था. इससे पहले सत्र 2018-19 में ट्रांसफर पॉलिसी लाई गई थी, जो तीन सालों के लिए लागू की गई थी. पिछले दो सालों से कोरोना के कारण नई ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लाई गई थी.