आज ख़त्म हो सकता है किसान आंदोलन! सरकार और किसानों में बनी सहमति
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून, आंदोलन (Farmer Protest) के दौरान किसानों पर दर्ज केसों की वापसी जैसे मुद्दों पर भी किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गई है. बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए रिवाइज ड्राफ्ट पर किसानों ने भी सहमति दे दी है जिसके बाद माना जा रहा है कि गुरुवार को सरकार की तरफ से आधिकारिक पत्र मिलते ही 14 महीनों से जारी किसान आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान किया जा सकता है. किसान नेताओं ने बताया कि अगर सरकार की तरफ से इसे मानने के लिए अधिकारिक चिट्ठी भेज दी जाएगी तो गुरुवार दोपहर 12 बजे फिर मोर्चे की मीटिंग बुलाकर किसानों की घर वापसी (Farmers agitation may end today) का ऐलान कर दिया जाएगा.
बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के बाद किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार की तरफ से जो ड्राफ्ट आया था, उस पर हमारी सहमति नहीं बनी थी. हमने उसमें कुछ सुधारों की मांग कर लौटा दिया था. सरकार दो कदम और आगे बढ़ी है. आज जो ड्राफ्ट आया है, उसको लेकर हमारी सहमति बन गई है. अब सरकार उस ड्राफ्ट पर हमें अधिकारिक चिट्ठी भेजे. इसी पर सबकी सहमति है. जैसे ही चिट्ठी आएगी, उस पर गुरुवार को मीटिंग कर फैसला लेंगे. इसके लिए 12 बजे मीटिंग बुला ली गई है, जिसमें अंतिम फैसला लिया जाएगा.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने जो ड्राफ्ट भेजा था, उसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है. इस ड्राफ्ट के अनुसार मृतकों को 5 लाख का मुआवजा राज्य सरकार देगी. वहीं, राज्य सरकार ही किसानों पर केस वापस लेगी. अब इसे सरकार को वापस भेजा गया है. जैसे ही सरकार अधिकारिक तौर पर इसे जारी कर देगी तो आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया जाएगा. इसके लिए कल दोपहर 12 बजे मीटिंग बुला ली गई है. उन्होंने आगे कहा कि लखीमपुर मामले पर भी केंद्र सरकार के साथ बातचीत जारी है, ये भी एजेंडे का हिस्सा है.
हरियाणा सरकार भी मुआवजे और केस वापसी पर राजी
उधर हरियाणा सरकार ने भी किसानों को मुआवजे के तौर पर 5 लाख की मदद और केस वापस लेने की सहमति दे दी है. केंद्र सरकार ने भी सभी केस वापस लेने पर सहमति दे दी है. केंद्र ने MSP कमेटी में सिर्फ मोर्चे के नेताओं को रखने की बात भी मान ली है. दिल्ली बॉर्डर पर 377 दिन से किसान आंदोलन चल रहा है.
क्या है नया प्रस्ताव?
1. MSP कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे. कमेटी 3 महीने के भीतर रिपोर्ट देगी। जो किसानों को MSP किस तरह मिले, यह सुनिश्चित करेगी. वर्तमान में जो राज्य जिस फसल पर MSP पर जितनी खरीद कर रही है, वह जारी रहेगी.
2. सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे. UP, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है.
3. केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे. राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी.
4. हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
5. बिजली बिल पर किसानों पर असर डालने वाले प्रावधानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी. उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा.
6. पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से किसान मुक्त होंगे.
पंजाब के किसान भी तैयार
पंजाब के 32 में से अधिकांश किसान संगठन घर वापसी के लिए तैयार हैं. उनकी कृषि कानून वापसी की मुख्य मांग पूरी हो चुकी है. हालांकि, किसानों पर दर्ज केस को लेकर वह हरियाणा के साथ हैं. पंजाब में किसानों पर केस दर्ज नहीं किए गए, लेकिन हरियाणा में हजारों किसानों पर केस दर्ज हैं. हरियाणा के अलावा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों और रेलवे के भी केस हैं. किसानों का कहना है कि अगर ऐसे ही घर आ गए तो आंदोलन वापसी के बाद केस भुगतने पड़ेंगे. पहले भी हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में ऐसा हो चुका है.