आर्य समाज की ओर से जारी मैरिज सर्टिफिकेट स्वीकार नहीं- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने यह टिप्पणी एक नाबालिग के अपहरण और रेप से संबंधित अपराध पर आरोपी की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान की. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आर्य समाज को मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई हक नहीं है. यह मामला मध्य प्रदेश में हुई एक लव मैरिज से जुड़ा हुआ है.

लड़की के परिजनों ने लड़के पर अपहरण और रेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन पीठ ने आरोपी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि बलात्कार का दावा करने वाली युवती बालिग है और उसने आर्य समाज के तहत शादी की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज का काम और अधिकार मैरिज सर्टिफिकेट जारी करना नहीं है. क्योंकि विवाह प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकरण जारी करते हैं. इसलिए कोर्ट के सामने असली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने चाहिए.इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया था.बता दें कि आर्य समाज एक हिन्दू सुधारवादी संगठन है और इसकी स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी.

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