आसाराम की किस्मत का फैसला कल, फैसले से पहले छावनी बना जोधपुर
नई दिल्ली: कल यानी बुधवार को जोधपुर की सेंट्रल जेल के अंदर लगने वाली एक खास अदालत से ऐसा फैसला आने वाला है जिस पर सबकी निगाहें हैं। फैसला जुड़ा है आसाराम से जो 4 साल 7 महीने से उसी जेल में कैद हैं। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, सुनवाई खत्म हो चुकी है बस फैसले का इंतजार है। जोधपुर जेल को किले में तब्दील कर दिया गया है और जोधपुर शहर में दो दिन पहले से ही धारा 144 लागू कर दी गई है। आसाराम के आश्रम को खाली करा लिया गया है। फैसले के बाद किसी भी तरह के बवाल से बचने के लिए पुलिस हर तरह का एहतियात बरत रही है ताकि फैसला सुनने के बाद आसाराम के समर्थक माहौल खराब न कर सकें।
देशभर में आसाराम के 427 से अधिक आश्रम हैं। आसाराम के 70 लाख से अधिक साधक और समर्थक हैं। ऐसे में पुलिस को अंदेशा है कि फैसले के दिन जोधपुर में भी हजारों की संख्या में आसाराम समर्थक साधक जुट सकते हैं। इस मामले में जिस तरह से विवाद हुए थे, उसे ध्यान में रखते हुए पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में मामले का फैसला जेल स्थित अस्थाई कोर्ट में ही सुनाने की गुहार की, जिसकी हाईकोर्ट ने भी अनुमति दे दी। इससे पुलिस को कुछ राहत तो मिली, लेकिन अभी भी पुलिस के सामने यह चुनौती है कि शहर में हजारों की संख्या में साधक और समर्थक जुट सकते हैं।
आसाराम के वकील और सरकारी वकील अपनी-अपनी दलील दे चुके हैं बस जज मधुसूदन शर्मा 25 तारीख को जब जेल की बैरक नंबर 2 में आसाराम पर फैसला सुनाएंगे तो पूरे देश की नज़र इस फैसले पर लगी होगी। 4 साल 7 महीने 23 दिन के बाद आसाराम जेल से बाहर आएंगें या फिर उन्हे एक लंबी सज़ा के लिए जेल में रहना होगा ये साफ हो जाएगा। ऐसा नही है कि इतने साल में आसाराम कभी जेल से बाहर नही आए लेकिन जब-जब कोर्ट में पेशी के लिए निकले जेल में अपने अनुभव और झल्लाहट कैमरे के सामने ज़रूर दिखा गए। कभी-कभी तो दाशर्निक अंदाज़ में अपना दर्द बयान कर गए।
जेल जाने के बाद कानून पर आसाराम का भरोसा कितना बढ़ा, ये तो ठीक से वही बता सकते हैं लेकिन किस्मत पर उनका भरोसा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। जेल की हवा खाते ही हमेशा सातवें आसमान पर रहने वाले उनके सुर भी बदल गए। नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद बाप-बेटे दोनों को ये अहसास हो गया कि कानून और इंसाफ की लाठी जब किसी पर गिरती है तो उसकी मार से कोई भी नहीं बच पाता है। अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद आसाराम का सारा गुरूर टूट चुका था। इंसाफ का वक्त आ चुका है लेकिन तब से लेकर अब तक आसाराम को उस वक्त का इंताज़ार था जब उनकी किस्मत का फैसला हो।
नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद आसाराम ने अपने परिवार के खिलाफ साजिश होने का दावा किया था लेकिन इसके बाद आसाराम के खिलाफ देश भर से शिकायतों का अंबार लग गया। खुद आसाराम और उनके परिवार पर साजिशों के नये नए आरोप लगे। आसाराम के कई पूर्व सेवादारों और गवाहों की संदेहास्पद मौतें भी हुईं। कानून की जिन धाराओं की वजह से आसाराम पर शिकंजा कसता चला गया, उसे आसाराम और उनके लठैत भक्तों ने अनेकों बार चुनौती दी थी।
नाबालिग लड़की से रेप का आरोप लगने के बाद हमेशा भक्तों से घिरे रहने वाले आसाराम कानून के लपेटे में घिरते ही चले गए। राम जेठमलानी से लेकर सुब्रहमण्यम स्वामी जैसे कानून के दिग्गजों ने अदालत में आसाराम की जमानत के लिए पैरवी की, लेकिन इस धर्मगुरु की किस्मत तो जेल की कोठरी में कैद हो चुकी थी। हालांकि चारों तरफ से निराश हो चुके आसाराम को खुली हवा में सांस लेने की उम्मीद बनी हुई थी।
आसाराम का बुरा वक्त बीतेगा या और लंबा हो जाएगा ये अब से सिर्फ 48 घंटे बाद तय हो जाएगा। जेल में 40 हज़ार 700 घंटे से कैद आसाराम का क्या होगा, ये उनके सामने ही जोधपुर जेल की बैरक नबंर 2 के पास बने कोर्ट रूम में फैसला सुनाया जाएगा। तब ये देखना होगा आसाराम उस समय क्या कहते है। क्या आसाराम अपना गुनाह दिल से कबूल करेंगें या फिर ये कहने के लिए मजबूर हो जाएंगें।