इमरान खान ने कहा- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का साथ देकर बड़ी गलती की
न्यूयॉर्क. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने सोमवार को काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस (Council on Foreign Relations) में कई मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान आर्मी की करतूत भी कबूल की. इमरान खान ने माना कि सोवियत संघ में आतंकवाद फैलाने के लिए अलकायदा को पाकिस्तान आर्मी और खुफिया एजेंसी ISI ने ट्रेनिंग दी थी.
न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मीडिया के कई शर्मिंदगी भरे सवाल भी झेलने पड़े. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘1980 में सोवियत संघ के वक्त अफगानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया. सोवियत के खिलाफ जिहाद करने के लिए पाकिस्तानी सेना और ISI ने आतंकियों को ट्रेनिंग दी, जो बाद में अलकायदा बना. 1989 में जब सोवियत ने अफगानिस्तान छोड़ दिया. बाद में अमेरिका ने साथ छोड़ दिया, लेकिन ये आतंकी संगठन पाकिस्तान में ही रहे. फिर जब न्यूयॉर्क में 9/11 अटैक हुआ और एक बार फिर पाकिस्तान अमेरिका के साथ आया. यही कारण है कि हमें बार-बार झटका लगता रहा.
अमेरिका के साथ आकर गलती की
अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के एक कमेंट का जवाब देते हुए इमरान खान ने कहा कि अमेरिका के नेता को समझना चाहिए कि पाकिस्तान कट्टरपंथी क्यों बना. उन्होंने कहा कि हमारी गलती थी कि 9/11 के बाद अफगानिस्तान के साथ लड़ाई में हमने अमेरिका का साथ दिया. ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान ने 11 सितंबर 2001 को अमरीका में अलकायदा के हमलों के बाद चरमपंथ के ख़िलाफ़ जंग में अमेरिका का साथ देकर बड़ी भूल की.
चीन पर सवाल को टाल गए इमरान खान ‘
इमरान खान से पूछा गया कि क्या चीन के द्वारा पाक को दी जा रही मदद से पाक के कर्ज में बढ़ोत्तरी नहीं होगी और उसकी संप्रभुता के खतरा नहीं पहुंचेगा? इस सवाल के जवाब में इमरान खान ने कहा, ‘जब भी हमारे सामने वाकई बेहद खराब परिस्थितियां आईं, तो चीन ने हमारी मदद की और इसके साथ ही हमेशा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी हमेशा हमारी मदद की.’ इसके जवाब में वे संप्रभुता के सवाल को टाल गए.
पाकिस्तानी आतंकियों के साथ तालिबानी आतंकियों को भी बचाते दिखे इमरान
‘क्या अमेरिका को आतंकियों से लड़ने के लिए 100% प्रयास नहीं करना चाहिए?’ इस सवाल का जवाब देते हुए इमरान खान ने कहा, ‘अफगानिस्तान के मसले का कभी भी मिलिट्री हल नहीं निकाला जा सकता. मैंने यह बात ओबामा प्रशासन से 2008 में कही थी, लेकिन उन्होंने इस पर विश्वास नहीं किया. अफगान हमेशा बाहरी सेनाओं के खिलाफ संगठित रहे हैं. पाकिस्तान में लाखों अफगान रिफ्यूजी रह रहे हैं.’
इमरान ने कहा, ‘आज का तालिबान यह बात मानता है कि वह पूरे अफगानिस्तान (Afghanistan) को नियंत्रित नहीं कर सकता है, न ही अफगानिस्तानी सेना ऐसा कर सकती है. ऐसे में एक राजनीतिक समझौता ही अकेला रास्ता है, नहीं तो अमेरिका अपनी सेना को किसी भी तरीके से बाहर नहीं निकाल सकती है.’
सेना पाकिस्तानी पीएम से ज्यादा पावरफुल
क्या पाकिस्तानी पीएम के पास सेना प्रमुख और वहां के खुफिया विभाग से कम शक्तियां हासिल हैं? क्या आपको लगता है कि आपकी शक्तियां सीमित हैं?’ इस सवाल के जवाब में इमरान खान ने कहा, ‘लोकतंत्र नैतिक सत्ता की वजह से चलता है. जब नेता अपनी नैतिक सत्ता खो देते हैं, तो सेना अपनी शक्ति के साथ उनकी जगह ले लेती है.’