एंट्रिक्स देवास मुद्दे पर बोलीं वित्त मंत्री- यह भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी थी, देश के खिलाफ धोखाधड़ी थी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) नई दिल्ली स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं. बजट पूर्व इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को बहुत अहम माना जा रहा है. 1 फरवरी को आम बजट (Budget 2022) पेश होने वाला है. उससे पहले मंगलवार की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण एंट्रिक्स देवास मुद्दे पर सरकार का पक्ष रख रही हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि देवास मल्टीमीडिया के लिक्विडेशन को बरकरार रखने वाला सुप्रीम कोर्ट का आदेश व्यापक है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा कि एंट्रिक्स देवास मामला भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी थी और यह पूरे देश के खिलाफ धोखाधड़ी थी. उन्होंने कहा कि 2005 में हुआ देवास समझौता देश की सुरक्षा के खिलाफ था. वित्त मंत्री ने इस पूरे मामले के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार को जिम्मेदार बताया.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला दिया है जिस पर सबको गौर करना चाहिए. रक्षा मंत्रालय के लिए प्रयोग किए जाने वाले टेलीकॉम बैंड को प्राइवेट कंपनियों के हाथ बेचा गया. यूपीए सरकार की लालच के कारण आज मोदी सरकार को कई अंतरराष्ट्रीय केस लड़ने पड़ रहे हैं. यूपीए सरकार के इस फैसले की जानकारी उस वक्त कैबिनेट तक को नहीं दी गई.
सीतारमण ने कहा, सैटेलाइट लॉन्च होने से पहले ही निजी कंपनी को इसके अधिकार दे दिए गए. एंट्रिक्स मुद्दे पर कांग्रेस जैसी पार्टी को क्रोनी कैपिटलिज्म पर बोलने का कोई अधिकार नहीं.
क्या है देवास का मामला
17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने देवास मल्टीमीडिया और देवास एंप्लॉई मॉरीशस की एनसीएलटी के खिलाफ याचिका को रद्द कर दिया था. देवास मल्टीमीडिया का इसरो की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स के साथ वर्ष 2005 में एक करार हुआ था जिसके तहत वह पट्टे पर एस- बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर मोबाइल फोनधारकों को मल्टीमीडिया सेवाएं मुहैया कराने वाली थी. लेकिन स्पेक्ट्रम नीलामी में धांधली के आरोप लगने के बाद वर्ष 2011 में इस सौदे को रद्द कर दिया गया था.
इस आदेश के खिलाफ देवास मल्टीमीडिया ने मध्यस्थता की कार्रवाई शुरू की. इस कंपनी में हिस्सेदारी रखने वाली मॉरीशस इंवेस्टर्स और डायचे टेलीकॉम भी इस मामले पर अलग से मध्यस्थता कार्रवाई शुरू कर दी थी. भारत को तीनों ही मामलों में हार का सामना करना पड़ा था.
भारत सरकार को सौदा निरस्त करने के एवज में 1.3 अरब डॉलर का भुगतान करने का आदेश मध्यस्थता अधिकरण ने दिया था. उसी आदेश को अमल में लाने के लिए देवास के निवेशकों ने भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने का आदेश देने की अपील की थी.
देवास मल्टीमीडिया के शेयरधारकों में अमेरिकी निवेश समूह कोलंबिया कैपिटल और टेलीकॉम वेंचर्स के अलावा डायचे टेलीकॉम भी शामिल हैं.