एनसीईआरटी: प्ले-स्कूल के बच्चों को अब पढ़ाई नहीं, बल्कि शेयरिंग-केयरिंग की आदतों के आधार पर जांचा जाएगा
नई दिल्ली. प्ले-स्कूल के बच्चों को अब पढ़ाई नहीं, बल्कि उनकी आदतों और साथी स्टूडेंट से व्यवहार के आधार पर जांचा-परखा जाएगा। एनसीईआरटी ने इसे लेकर नई एजुकेशन गाइडलाइन्स बना ली हैं। हालांकि, अभी तय नहीं है कि यह बदलाव इसी शैक्षणिक सत्र से लागू होगा या नहीं।
टीचर रोज इन छोटी-छोटी आदतों पर नजर रखेंगे
जैसे कि- बच्चे में शेयरिंग-केयरिंग जैसी भावनाएं हैं कि नहीं? बच्चा अपने स्टडी मैटेरियल का कैसे इस्तेमाल करता है? अपनी पेंसिल, अपने कलर्स को हिफाजत से रखता है कि नहीं? साथियों से दोस्ती करके रहता है या लड़ता-झगड़ता है? बच्चे की इस तरह की आदतों के आधार पर ही उसका असेसमेंट होगा यानी रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा।
बच्चे की इन आदतों पर भी नजर होगी…
– बच्चा अपनी पेंसिल, कलर्स अपने साथियों को इस्तेमाल करने देता है कि नहीं?
– जल्दी गुस्सा तो नहीं होता? स्कूल आने पर बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ाता तो नहीं है?
– टीचर के दिए टास्क को लेकर, होमवर्क में और लर्निंग में बच्चा कितना एक्टिव है?
– एक्टिविटी एरिया में बच्चे का परफॉर्मेंस कैसा है?
क्यों किया जा रहा है ये बदलाव
– दरअसल, ये कवायद प्ले-स्कूल के बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए है। एनसीईआरटी का मानना है कि बच्चों पर छोटी क्लास में ही पढ़ाई का ज्यादा बोझ डाला जा रहा है। जबकि प्ले-स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा व्यक्तित्व की बेहतर नींव डालने पर जोर दिया जाना चाहिए।
माता-पिता भी करेंगे टीचर की मदद