एस जयशंकर ने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ के साथ साझा चिंताओं और हितों पर चर्चा की
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ के साथ सोमवार को हुई वार्ता में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति और एशिया में स्थिरता तथा सुरक्षा सहित ‘‘साझा चिंताओं और हितों’’ पर चर्चा की। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी। पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर भारत-अमेरिका के बीच मंगलवार को होने वाली तीसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता के लिए सोमवार को यहां पहुंचे। ‘टू प्लस टू’ वार्ता से पहले जयशंकर और पोम्पिओ ने सोमवार शाम द्विपक्षीय बैठक की और सामरिक महत्व के महत्व के मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने अफगान शांति प्रक्रिया पर चर्चा की। इस दौरान जयशंकर ने भारत की चिंता को रेखांकित करते हुए कहा कि निर्णय अफगानिस्तान में बल का इस्तेमाल किए बिना लोगों द्वारा किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने पोम्पिओ से यह भी कहा कि नयी दिल्ली को सीमा पार से संचालित आतंकवाद पूरी तरह अस्वीकार्य है। जयशंकर ने एक ट्वीट में बैठक को सार्थक करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मंत्री पोम्पिओ के साथ गर्मजोशी भरी सार्थक बैठक हुई। महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई। संबंधों में प्रगति की समीक्षा की। हमारी विदेशी नीति चर्चा और सहयोग विस्तारित हुआ है।’’
वहीं, पोम्पिओ ने ट्वीट किया कि वह ‘टू प्लस टू’ वार्ता सहित सार्थक बैठकों के लिए फिर से दिल्ली पहुंचकर खुश हैं। सूत्रों ने कहा कि जयशंकर और पोम्पिओ ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति और एशिया में स्थिरता तथा सुरक्षा सहित ‘‘साझा चिंताओं और हितों’’ के मुद्दों पर चर्चा की। ऐसे संकेत हैं कि वार्ता में पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई। इस संबंध में एक सूत्र ने कहा कि विशिष्ट मुद्दे मंगलवार को ‘टू प्लस टू’ वार्ता में उठेंगे। उन्होंने कहा कि जयशंकर और पोम्पिओ के बीच समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद रोधी सहयोग, मुक्त कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई तथा उन्होंने अपनी हिन्द-प्रशांत वार्ताओं और क्वाड की बैठक में हुई वार्ता को लेकर भी चर्चा की। सूत्रों के अनुसार पोम्पिओ ने भी जयशंकर के साथ अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका का विचार साझा किया। दोनों मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की आगामी सदस्यता के परिप्रेक्ष्य में बहुपक्षीय वार्ताओं और सहयोग को लेकर भी चर्चा की।