कालाष्टमी आज, इस विधि से करें भैरव की पूजा दूर भागेंगे भूत-प्रेत, मिटेगी बाधा
Kalashtami 2019: काल भैरव अष्टमी आज यानी कि 25 जून मंगलवारको मनाई जा रही है. आज के दिन जो भी भक्तजन भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना और उपवास करेगा भगवान काल भैरव उसके सभी प्रकार के रोग-दोष दूर करेंगे. आइए जानते हैं भगवान काल-भैरव की व्रत कथा और व्रत की विधि:
काल-भैरव व्रत की विधि:
यह उपवास करने वालों को सुबह नहा-धोकर पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. व्रती को पूरे दिन उपवास करना चाहिए और रात्रि के समय धूप, दीप, धूप,काले तिल,उड़द, सरसों के तेल का दिया बनाकर भगवान काल भैरव की आरती गानी चाहिए.
मान्यता के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए जब व्रती व्रत खोलें तो उसे अपने हाथ से कुछ पकवान बनाकर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा आती है. पूरे मन से काल भैरव भगवान के पूजा करने पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं.
काल-भैरव व्रत कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के व्यक्तित्व को लेकर कुछ ऐसा आपत्तिजनक बोल दिया जिससे शिव जी को क्रोध आ गया. फलस्वरूप उनके शरीर की छाया से काल भैरव की उत्पत्ति हुई. जिस दिन ऐसा हुआ उस दिन मार्गशीष माह की अष्टमी थी. काल भैरव ने शिव जी को अपशब्द कहने को लेकर आवेश में आकर अपने नाखून से ब्रह्मा जी का मस्तक काट दिया.लेकिन जब काल भैरव का गुस्सा शांत हुआ तब उन्हें अपनी गलती का एहसास और इसके बाद वो ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा पाने के लिए भटकते-भटकते काशी पहुंचे. वहां जाकर उनके मन को शांति मिली. उसी समय आकाश से भगवान काल भैरव के लिए आकाशवाणी हुई कि उन्हें काशी का कोतवाल (रखवाला) नियुक्त किया गया है और उन्हें वहीं निवास कर लोगों को उनके पापों से छुटकारा दिलाना होगा.