केरल में विनाशकारी बाढ़ के बाद अब एक और नया संकट
नई दिल्ली| केरल में आई सदी की सबसे विनाशकारी बाढ़ से अब तक 370 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लाख लोग बेघर हो चुके हैं। हालांकि बारिश धीमी होने और जलस्तर घटने से अब राज्य में संक्रामक बीमारियों के प्रकोप का खतरा मंडराने लगा है।
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “बाढ़ की शुरुआत के बाद संक्रामक बीमारियों और उनके संचरण का प्रकोप दिन, सप्ताह या महीने के भीतर हो सकता है। बाढ़ के दौरान और बाद में सबसे आम स्वास्थ्य जोखिमों में से एक है जल स्रोतों का प्रदूषण। ठहरा हुआ पानी मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है, इस प्रकार वेक्टर-जनित बीमारियों की संभावना में वृद्धि होती है।”
उन्होंने कहा, “संक्रमण, जो बाढ़ के बाद महामारी के रूप में ले सकता है, वह है लेप्टोस्पायरोसिस। बाढ़ से चूहों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। उनके मूत्र में लेप्टोस्पायर की बड़ी मात्रा होती है, जो बाढ़ वाले पानी में मिल जाती है। इसके अलावा, वापस लौटते पाने से मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है। बाढ़ के कारण कुछ अन्य विनाशकारी घटनाएं भी होती हैं, जैसे डूबने, मैनहोल में गिरने के कारण चोटें और बिजली के तारों का पानी में डूब जाना, जिससे पानी में करंट आ जाता है और लोगों को झटका लग जाता है।”
डॉ. अग्रवाल ने बताया, “बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास होने चाहिए। सरकारी स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण के स्तर में सुधार करना महत्वपूर्ण है। लोगों को स्वच्छता और हाथ धोने की तकनीक के बारे में शिक्षित करने के लिए भी एक प्रणाली होनी चाहिए।”