खत्म होगी बिजली की किल्लत, बारिश के कारण कोयले का संकट-कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी
नई दिल्ली. देश में कोयले की कमी को लेकर बने हुए संकट (Coal Crisis) के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कोयले की कमी का कारण बताया साथ ही उन्होंने कहा कि कल भारत में अब तक की सबसे ज्यादा कोयले की आपूर्ति की गई. जोशी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि बारिश के कारण कोयले की कमी हो गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 60 रुपये से 190 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई. उन्होंने बताया कि इसके बाद, आयातित कोयला बिजली संयंत्र या तो 15-20 दिनों के लिए बंद हो गए या बहुत कम उत्पादन करने लगे. इससे घरेलू कोयले पर दबाव पड़ा.
कोयला मंत्री ने कहा कि कल हमने 1.94 मिलियन टन की आपूर्ति की जो कि घरेलू कोयले की अब तक की सबसे ज्यादा आपूर्ति है. उन्होंने कहा कि जहां तक राज्यों का सवाल है, इस साल जून तक हमने उनसे स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध किया, उनमें से कुछ ने कहा, “कृपया अभी कोयला मत भेजें.”प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हमने अतीत में अपने बकाये के बावजूद आपूर्ति जारी रखी है. जोशी ने कहा कि हम राज्यों से स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं. उन्होंने यह आश्वासन दिया है कि कोयले की कमी नहीं होगी. बता दें कोयले के कमी के कारण दिल्ली, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने कोयले का स्टॉक खत्म होने और ब्लैकआउट होने की चेतावनी दी है.
प्रधानमंत्री ने बैठक कर लिया स्थिति का जायजा
देश में कोयले के संकट के मद्देनजर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कोयले के परिवहन को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक सरकार बिजली की मांग को पूरा करने के लिए बड़े आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का उपयोग करना चाह रही है.
गृह मंत्री ने भी की थी बैठक
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को बिजली मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठक की थी. घंटे भर चली बैठक के दौरान तीनों मंत्रियों ने बिजली संयंत्रों को कोयले की उपलब्धता और इस समय बिजली की मांग पर चर्चा की.
बता दें बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बिजली की खपत आठ अक्टूबर को 390 करोड़ यूनिट थी, जो इस महीने अब तक (1-9 अक्टूबर) सबसे ज्यादा थी. बिजली की मांग में तेजी देश में चल रहे कोयला संकट के बीच चिंता का विषय बन गई है.