जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी

अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर लगातार विकास के नए आयाम को हासिल कर रहा है। वह मुख्य धारा की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है। इन सब के बीच आज जम्मू कश्मीर को लेकर परिसीमन आयोग की ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए सीटों का परिसीमन तय किया गया था और इसकी जिम्मेदारी परिसीमन आयोग को दी गई थी। दरअसल, जम्मू कश्मीर पर तीन सदस्य परिसीमन आयोग में अपना कार्यकाल खत्म होने के 1 दिन पहले केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा सीटों के पुनर्निर्माण से संबंधित अपने अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जम्मू कश्मीर में कुल 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में कुल विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी।तीन सदस्य परिसीमन आयोग रंजना देसाई की अध्यक्षता में काम कर रहा था। मार्च 2020 में गठित आयोग को पिछले साल, एक साल का विस्तार दिया गया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त, परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य हैं। फरवरी में, आयोग का कार्यकाल फिर से दो महीने के लिए बढ़ाया गया। पहले इसका कार्यकाल छह मार्च को समाप्त होना था। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक विधानसभा में 2 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए भी आरक्षित किए जाएंगे। आदेश की एक प्रति और रिपोर्ट सरकार के पास भी भेजी जाएगी। रिपोर्ट में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या के साथ-साथ उनका क्षेत्र, आकार और जनसंख्या इत्यादि का विस्तृत विवरण भी दिया गया है। पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटों को खाली रखा गया है। यह सीटें पहले से भी खाली रखी गई थी। जिन 7 विधानसभा सीटों की बढ़ोतरी की गई है उनमें 6 सीट जम्मू के हिस्से में आएंगे जबकि एक सीट कश्मीर में जाएगा। वर्तमान में जम्मू रीजन में 37 सीटें हैं जबकि कश्मीर क्षेत्र में 46 सीटें हैं। इस प्रस्ताव के लागू हो जाने के बाद जम्मू रीजन में कुल सीटों की संख्या 43 हो जाएगी जबकि कश्मीर डिवीजन में 47 हो जाएगी। परिसीमन आयोग में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीट आरक्षित की हैं। इनमें से से जम्मू रीजन में है जबकि तीन कश्मीर संभाग में है। जम्मू कश्मीर में इससे पहले 1995 में परिसीमन हुआ था उस वक्त जम्मू कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसील थी। अब केंद्र शासित प्रदेश में 20 जिले हैं जबकि तहसीलों की संख्या बढ़कर 270 हो गई।

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