जम्मू कश्मीर में नए सिरे से परिसीमन पर विचार, सीटों में हो सकता है बदलाव
नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन की तैयारी में है। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि नए परिसीमन आयोग के गठन पर विचार जारी है। इसके तहत राज्य में कुछ सीटें एससी /एसटी के लिए आरक्षित हो सकती हैं। सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक, गृह मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदलने की कोशिशों में जुट गए हैं। लिहाजा, जम्मू-कश्मीर को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। आज एक बार फिर जम्मू क्षेत्र के लिए परिसीमन आयोग गठित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है। जम्मू क्षेत्र में नए परिसीमन पर जारी बैठकों में गृह सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के प्रमुखों को भी शामिल किया गया है।
परिसीमन पर लगी रोक हटने का मतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र की विधानसभा सीटों में बदलाव होगा। जम्मू क्षेत्र की मांग के अनुरूप यदि परिसीमन हुआ तो आने वाले समय में उसके हिस्से में विधानसभा की ज्यादा सीटें आ सकती हैं और साथ में कुछ सीटें एससी कैटगरी के लिए रिजर्व की जा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर का मौजूदा परिसीमन ठीक नहीं है और जम्मू क्षेत्र के साथ न्याय नहीं हो रहा।
विधानसभा क्षेत्रों के आकार पर हो सकता है विचार…
बता दें, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं, लेकिन 24 सीटों को रिक्त रखा गया है। राज्य के संविधान के सेक्शन 48 के मुताबिक इन 24 सीटों को पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ गया है और बाकी बची 87 सीटों पर ही चुनाव होता है।
मौजूदा समय में कश्मीर से 46, जम्मू से 37 और लद्दाख से 4 विधानसभा सीटें हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस आयोग की रिपोर्ट के बाद जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के आकार पर विचार हो सकता है और साथ में कुछ सीटें SC कैटगरी के लिए रिज़र्व की जा सकती हैं।
मौजूदा हालात में कश्मीर से ज्यादा और जम्मू से कम विधायक चुनकर विधानसभा में जाते हैं। ऐसे में सरकार का मानना है कि क्षेत्रीय भेदभाव को खत्म किया जाए, जिसके तहत बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, ऐसा होने पर आने वाले समय में जम्मू क्षेत्र से कोई हिंदू मुख्यमंत्री बन सकता है। अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीर का दबदबा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर लगी रोक हटाने का मन बना चुकी है और इस दिशा में वह आगे बढ़ रही है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक के बाद इस दिशा में आगे बढऩे और परिसीमन आयोग गठित करने के लिए सरकारी स्तर पर बैठकों का दौर चल रहा है। गृह मंत्रालय एवं राज्यपाल दोनों एक-दूसरे के संपर्क में हैं। गृह सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के प्रमुखों को भी बातचीत में शामिल किया गया है।
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व की असमानता दूर करने के लिए सरकार ने परिसीमन आयोग गठित करने का फैसला किया है। अभी मौजूदा समय में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं। जम्मू क्षेत्र कश्मीर से बड़ा है और इसे देखते हुए इस क्षेत्र में ज्यादा सीटें होनी चाहिए लेकिन पिछले समय में हुए परिसीमन में यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया। जिसके चलते जम्मू क्षेत्र की न्यायसंगत नुमाइंदगी विधानसभा में नहीं हो पाई। जम्मू क्षेत्र के लोग काफी समय से इस असमानता को दूर करने की मांग करते आए हैं।
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। ऐसे में नए सिरे से परिसीमन के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। राज्यपाल की अनुशंसा पर राज्य में नए सिरे से परिसीमन का काम शुरू हो सकता है। 2002 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने राज्य में परिसीमन के काम पर रोक लगा दी थी।