जीएसटी, नोटबंदी से 18 लाख और लोग इनकम टैक्स दायरे में आए: भारत

नई दिल्लीः भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को जानकारी दी है कि माल व सेवा कर (जीएसटी) के लागू करने और नोटबंदी से देश के 18 लाख नए लोग आयकर के दायरे में आए हैं. विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ए गीतेश शर्मा ने ईसीओएसओसी फोरम के एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारत फिलहाल अनेक सुधारों का कार्यान्वयन कर रहा है.

उन्होंने कल कहा कि सरकार नकदी के बजाय डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है. इसके साथ ही जीएसटी टैक्स प्रणाली लागू की गई है. उन्होंने कहा कि इससे इनडायरोक्ट टैक्सपेयर्स की संख्या में 50 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. शर्मा ने कहा, बड़े मूल्य वाले नोटों के बंद होने और जीएसटी के कार्यान्वयन से 18 लाख और लोग टैक्स के दायरे में आए हैं. उन्होंने कहा कि भारत विश्व व्यापार के मूल सिद्धांतों को लेकर अपने रुख पर कायम है.

जीएसटी से सरकार ने जुटाए 7.41 लाख करोड़ रुपये

‘एक देश एक टैक्स’ की तर्ज पर एक जुलाई 2017 से लागू माल और सेवा कर (जीएसटी) से सरकार ने 2017-18 के दौरान 7.41 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. वित्त मंत्रालय ने आज इसकी जानकारी दी है. उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्यों के क्रमश: उत्पाद शुल्क और वैट सहित बहुत से टैक्स जीएसटी में समा गए हैं. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट में कहा , ‘जीएसटी से 2017-18 की अगस्त-मार्च अवधि में कुल टैक्स कलेक्शन 7.19 लाख करोड़ रुपये रहा. जुलाई 2017 के टैक्स कलेक्शन को शामिल करने पर 2017-18 में कुल जीएसटी कलेक्शन अस्थायी तौर पर 7.41 लाख करोड़ रुपये रहा है’

इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) से प्राप्त 1.19 लाख करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) से मिले 1.72 लाख करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी ) के 3.66 लाख करोड़ रुपये (जिसमें आयात से 1.73 लाख करोड़ रुपये भी शामिल) और सेस से हासिल 62,021 करोड़ रुपये (जिसमें आयात पर सेस के 5,702 करोड़ रुपये) शामिल हैं. अगस्त-मार्च अवधि के दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह 89,885 करोड़ रुपये रहा. 2017-18 के आठ महीनों में राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 41,147 करोड़ रुपये दिए गए हैं. जीएसटी कानून के तहत इस नई टैक्स व्यवस्था के कारण पांच साल तक राज्यों के राजस्व में गिरावट की भरपाई केंद्र करेगी. इसके लिए विलासिता और अहितकर उपभोक्ता वस्तुओं पर विशेष सेस लागू किया गया है. राजस्व हानि की गणना के लिए 2015-16 की कर आय को आधार बनाते हुए उसमें सालना औसत 14 फीसदी की वृद्धि को सामान्य संग्रह माना गया है.

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