जो लोग काम करना नहीं चाहते उन्हें बेरोजगार नहीं कहना चाहिए: प्रकाश जावड़ेकर
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और प्रकाश जावड़ेकर ने देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के तमाम दावों को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि इस तरह के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए असंबंधित मुद्दों का हवाला नहीं दिया जा सकता है. रेलवे मंत्री गोयल ने हाल ही में अपने मंत्रालय को आए डेढ़ करोड़ से ज्यादा आवेदनों का जिक्र भी किया.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के डेटा का उपयोग अक्सर बेरोजगारी की उच्च दर को उजागर करने के लिए किया जाता है. लेकिन देश में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले लोगों की भारी मात्रा को बढ़ती बेरोजगारी के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक लालच है जो लोगों को सरकारी नौकरियों के लिए आकर्षित करता है.’
सरकारी नौकरियों के लिए दीवानगी को समझने की जरूरत है
मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर रेल मंत्री से दो कदम आगे बढ़ गए. उन्होंने कहा, ‘जो लोग काम करना नहीं चाहते उन्हें बेरोजगार नहीं कहा जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘असंगठित क्षेत्र, स्व-नियोजित और महिला आबादी के एक बड़े वर्ग में कई लोग हैं जो काम करना नहीं चाहते और इस वर्ग से डेटा एकत्र करने की कोई प्रणाली नहीं है. क्या वे बेरोजगार हैं? इसके कई पहलू हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है?’
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने गोयल के दावे का समर्थन करते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए ‘दीवानगी’ को समझने की जरूरत है. जावड़ेकर ने कहा, ‘हमें यह पता लगाना होगा कि स्नातकोत्तर डिग्री वाले लोग सरकार में स्वीपर की नौकरियों के लिए आवेदन क्यों करते हैं.’
विपक्षी दल लगाते रहे हैं वादा खिलाफी का आरोप
हालांकि दोनों मंत्रियों ने यह सुनिश्चित किया कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों में पर्याप्त नौकरियां दी हैं, लेकिन उन्होंने यह साबित करने के लिए डेटा नहीं होने की बात भी स्वीकार की है. विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस के मुखिया राहुल गांधी बीजेपी पर 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बेरोजगारों से किए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते रहे हैं.