टैक्टर रैली बेकाबू : संयुक्त किसान मोर्चा ने हिंसा से किया किनारा

नई दिल्ली। तीन कृषि कानून के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसान संगठनों का समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने बेकाबू हुई ट्रैक्टर रैली में हिंसक वारदात से किनारा कर लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि जिन किसान संगठनों के लोग हिंसा पर उतर आए हैं और लाल किला परिसर में दाखिल हुए हैं, उनसे उनका कोई लेना-देना नहीं है। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मौला ने आईएएनएस से कहा कि कुछ संगठनों ने ट्रैक्टर रैली में घुसकर किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जो आंदोलन दो महीने से अनुशासित रहा है, उसे बदनाम करने की जिस किसी ने साजिश रची है वे अराजक व असामाजिक तत्व हैं।

ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब में जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल टैक्टर रैली में शामिल थे। उन्होंने बताया कि लाल किला पहुंचने का उनका कोई इरादा नहीं है और वे उधर जाना नहीं चाहते हैं, जो लोग लाल किला पहुंचे हैं वे संयुक्त किसान मोर्चा के लोग नहीं हैं। मेजर सिंह ने बताया कि विभिन्न रूटों पर ट्रैक्टर रैली में चल रहे किसान रास्ता भटक जाने के कारण भीतरी रिंग रोड पर आ गए, लेकिन उनको जो रूट दिया गया है, वे उन्हीं रूटों पर मार्च निकालना चाहते हैं।

पंजाब के ही किसान नेता और किसान बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष कृपा सिंह ने भी बताया कि, संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान गणतंत्र परेड में शामिल किसान संगठन दिल्ली पुलिस द्वारा निर्धातिर रूटों पर ही मार्च निकालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उत्पात मचाने वालों से उनका कोई संबंध नहीं है।

गणतंत्र दिवस पर आयोजित किसानों की ट्रैक्टर रैली निर्धारित रूटों की सीमा तोड़ कर भीतरी रिंग रोड होते हुए आईटीओ के पास पहुंच गई, जहां प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों को गणतंत्र किसान परेड निकालने के लिए जो रूट और समय तय किए गए थे, उसकी अवहेलना करते हुए किसान समय से पहले टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर लगे बैरीकेड को तोड़ते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश कर गए।

आईटीआई के पास पहुंचे किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे गए।

सिंघु बॉर्डर से जो ट्ररैक्टर रैली में किसानों की जो टुकड़ी चली थी वह भीतरी रिंगरोड की तरफ बढ़ गई और गाजीपुर बॉर्डर वाली टुकड़ी आईटीओ की तरफ बढ़ गई।

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