“तोड़फोड़ की कार्यवाही कानून के अनुसार हो “- बुलडोजर पर रोक लगाने की याचिका पर यूपी सरकार से बोला सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ से चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों में मांगा जवाब है. फिलहाल बुलडोजर रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है. इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार को होगी.
आज जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि ये मामला जरूरी है. 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया था. ये सिर्फ जहांगीर पुरी के लिए था. जिसमें यथा स्थिति बरकरार रखी गई थी. लेकिन यूपी के मामले में नोटिस हुआ था. जिस पर अंतरिम आदेश नहीं दिया गया था. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ध्वस्तीकरण की करवाई चल रही है. बयान दिया जा रहा है कि ये गुंडे हैं, ऐसे में ध्वस्तीकरण हो रहा है.
सिंह ने आगे कहा कि जो यूपी में चल रहा है वो कभी नहीं देखा गया. यहां तक कि इमरजेंसी में भी ऐसा नहीं हुआ. अवैध ठहरा कर बिल्डिंग ढहाई जा रही हैं. आरोपी के घर गिराए जा रहे है, ये सभी पक्के घर है. कई 20 साल से भी पुराने हैं. कई घर दूसरे सदस्यों के नाम पर है. लेकिन गिराए जा रहे हैं.
सिंह ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार एक बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का बयान आ रहा है कि हिंसा करने वाले के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है.अगर यह कानून का उल्लंघन है. ये हिंसा के खिलाफ प्रतिशोध है. ऐसा नहीं हो सकता है. कानून में प्रक्रिया बनाई गई है और उनका पालन करने की आवश्यकता है. सुनवाई के दौरन सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इसमें क्या कानूनी प्रक्रिया हुई? जवाब में सिंह ने कहा कि कोई प्रक्रिया नहीं हुई. एक मामले में तो ऐसा हुआ कि आरोपी की पत्नी के नाम पर बने घर को गिराया गया. जमीयत के वकील सिंह ने कहा कि कोर्ट तुंरत कार्रवाई पर रोक लगाए. वहीं जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि नोटिस जरूरी होते है, हमे इसकी जानकारी है.