दागी-अपराधियों को टिकट देकर अखिलेश ने पार्टी के लिए खड़ी की नई मुश्किलें
संजय सक्सेना,लखनऊ
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अति आत्मविश्वास में नजर आ रहे हैं. सियासत ने उनको ऐसा ‘जकड़’ लिया है कि वह सही-गलत,अच्छे-बुरे, छोटे-बड़े तक का फर्क भूल गए हैं.उनको लगने लगा है कि वह सत्ता हासिल करने के लिए जो भी फैसला लेंगे,वह सपा के लिए तुरूप का इक्का साबित होगा.इसी लिए वह एक या दो प्रतिशत वोट बैंक का दावा करने दलों से हाथ मिला कर अपनी पीठ थपथपाते हैं तो थोक के भाव में दूसरे दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करके नई मुसीबत मोल लेते जा रहे हैं.दलबदल कर जितने भी नेता सपा में आ रहे हैं,वह सब के सब टिकट मिलने की शर्त पर आए होंगे इस बात का सहज अनुमान लगाया जा सकता है. इससे पार्टी के उन पुराने नेताओं के अरमानों पर पानी फिरता जा रहा है,जो लगातार पांच वर्षो से सपा का झंडा उठाए हुए थे.यही वजह है सपा कार्यालय के बाहर पुराने समाजवादी नेता और उनके समर्थक आत्मदाह तक करने को मजबूर हो रहे हैं,यह और बात है कि अखिलेश इस तरह की घटनाओं पर सपा नेताओं को समझाने की बजाए यह कह रहे हैं कि वह जांच कराएंगे कि आत्मदाह करने वाले समाजवादी पार्टी के थे भी कि नहीं,.अखिलेश की स्थिति आज यह हो गई है कि उन्हें प्रदेश में हो रहे सभी विकास कार्यो के पीछे अपना चेहरा तो सभी बुराइयों और खामियों के पीछे भाजपा ही नजर आती है,लेकिन इससे न तो समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम हो रही हैं ना पार्टी को सही राह मिल पा रही है.
उस पर रही सही कसर समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन से जुड़े प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करके उन्होंने पूरी कर दी है। उम्मीद की जा रही थी कि पिछले पांच वर्षो से बीजेपी जिस तरह से समाजवादी पार्टी पर अपराधियों को संरक्षण देेने और अपराध को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही थी उसको ध्यान में रखते हुए इस बार शायद अखिलेश द्वारा अपराधियों व दुराचारियों को सत्ता से दूर रखा जाएगा। लेकिन सपा-रालोद गठबंधन की सामने आई सूची में प्रत्याशियों के नाम इन उम्मीदों से मीलों दूर दिखे। बेहतर कानून को स्थापित करने का विश्वास दिलाने वाली समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर अपराधियों,दंगाइयों को सत्ता में आने का न्योता देते हुए विधानसभा का टिकट दे दिया। इसमें सबसे बड़ा नाम पश्चिमी यूपी में हिंदुओं के पलायन का मास्टरमाइंड नाहिद हसन था. उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से गैंगस्टर नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव घिर गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए हुए कहा है कि सपा ने माफियाओं को टिकट देकर अपनी मंशा उजागर कर दी है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची जारी की, ये समाजिक न्याय की प्रतीक है, सबका साथ सबका विकास के नारे को सार्थक करती है। वहीं, सपा ने कैराना और मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और लोनी में पलायन और माफियाओं को टिकट दिया है, ये उनकी मंशा को दिखाता है। बुलंदशहर और लोनी में पेशेवर हिस्ट्रीशहर को टिकट देना समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन के चरित्र को उजागर कर देता है।‘’ उन्होंने कहा कि ‘’पेशेवर हिस्ट्रीशीटर और माफियाओं को टिकट देकर सत्ता में लाना और सत्ता को शोषण का प्रतीक बनान यही इनके टिकट में झलकता है।‘’
उधर,भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को यादव पर मुकदमा चलाने व सपा की मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि चुनाव में उम्मीदवार तय करने के मामले में सपा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इसलिए उसकी मान्यता खत्म की जाए। उपाध्याय ने एक टीवी चौनल से बातचीत में कहा कि यूपी के कैराना से नाहिद हसन को उतारकर सपा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है। सीएम योगी से पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए कहा था कि ‘’सपा में वो नेता जाते हैं जो दंगे करवाते हैं। और बीजेपी में वो लोग आते हैं जो दंगे होने से रोकते हैं। नाहिद हसन के हाथ खून से रंगे हैं। वो लोगों को पलायन के लिए मजबूर करने वाला है और सपा ने उसको प्रत्याशी बनाया है।‘’
13 जनवरी को ओर से सपा-आरएलडी के गठबंधन वाले प्रत्याशियों की ओर से पहली सूची जारी की गई। इस सूची में समाजवादी पार्टी द्वारा शामली जिले की कैराना सीट के लिए नाहिद हसन का नाम घोषित किया गया है। आपको बता दें कि नाहिद हसन के खिलाफ पुलिस में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी के साथ उन्हें कैराना से हिन्दुओं के अतिचर्चित पलायन का मास्टरमाइंड भी कहा जाता है। कई भाजपा नेताओं ने नाहिद हसन को दोबारा टिकट दिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। नाहिद हसन पर जमीन खरीदने के मामले में धोखाधड़ी का भी केस दर्ज है। वह शामली जिले की विशेष अदालत से भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है। नाहिद हसन कैराना से सपा के वर्तमान विधायक भी हैं। उनकी माँ तबस्सुम इसी क्षेत्र से पूर्व सांसद रहीं हैं। लम्बे समय तक फरार रहने वाले नाहिद हसन ने जनवरी 2020 में अदालत में सरेंडर किया था। लगभग 1 माह से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी। फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नाहिद हसन, उनकी माँ तबस्सुम और 38 अन्य लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।बहरहाल, नाहिद हसन को यूपी पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार किए जाने के बाद सपा ने उनका टिकट काट दिया है। इसके बाद सपा ने नाहिद हसन की बहन को टिकट दिया है। हालांकि भाजपा अब भी इस मामले पर सपा पर आक्रामक रुख अपना रही है। है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस पर हमला बोलते हुए कहा था कि सपा की पहली ही लिस्ट से उसके इरादे साफ हैं कि वह पश्चिम यूपी को गुंडाराज में झोंकने की तैयारी में है।
बात सपा के बुलंदशहर सदर सीट से बसपा के टिकट पर विधायक बनते रहे हाजी अलीम की मृत्यु के बाद सपा-रालोद ने उनके छोटे भाई हाजी यूनुस की कि जाए जिन्हें सपा गठबंधन ने टिकट दिया है। यूनुस पर बुलंदशहर की कोतवाली नगर में ही 23 मुकदमे दर्ज हैं। प्रभारी निरीक्षक द्वारा एसएसपी को भेजी गई रिपोर्ट में हत्या, हमला, लूट, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट जैसे 23 मुकदमों का जिक्र किया गया है।
मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी को दोबारा टिकट दिया गया है। उन पर भी कई आपराधिक केस लंबित हैं। वो अपनी ही पार्टी के एक अन्य नेता को मौत की धमकी देने के बाद चर्चित हुए थे। अक्टूबर 2021 में मेरठ की एक अदालत ने बुंदू खान अंसारी की शिकायत पर रफ़ीक अंसारी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। शिकायत में कहा गया था कि विधायक रफ़ीक अंसारी ने उन्हें अपनी जमीन फर्जी कागज़ातों के आधार पर बेच कर उनका पैसा हड़प लिया है। इतना ही नहीं, नवम्बर 2017 में रफीक अंसारी का एक ऑडियो वायरल हुआ था। ऑडियो में वो समाजवादी पार्टी के ही एक अन्य नेता को नगर निगम चुनावों के दौरान जान से मारने की धमकी दे रहे थे। विधायक अंसारी की मेरठ के नौचंदी थाने में हिस्ट्रीशीटर भी है।
सपा-आरएलडी के गठबंधन से जुड़ी प्रत्याशियों की इस सूची में कोई एक दो नेता नहीं बल्कि ऐसे कई नेता हैं जो आपराधिक प्रवत्ति से जुड़े हैं। जिनमें से एक नाम भाजपा नेता गजेंद्र भाटी की हत्या करने वाले अपराधी अमरपाल शर्मा का है। गाजियाबाद के खोड़ा में भाजपा नेता गजेंद्र भाटी उर्फ गज्जी की दो सितंबर 2017 को हत्या हुई। शूटरों ने खुलासा किया कि अमरपाल शर्मा ने उन्हें सुपारी दी थी। प्रशासन ने इस मामले में अमरपाल पर रासुका भी लगाई थी। अमरपाल पर साल-2018 में 10 लाख की रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ। कभी बसपा और कांग्रेस के साथी रहे अमरपाल शर्मा आज सपा-रालोद गठबंधन से साहिबाबाद सीट से प्रत्याशी हैं। इसी प्रकार हापुड़ जिले की धौलाना विधानसभा सीट से सपा विधायक एवं मौजूदा प्रत्याशी असलम चौधरी विवादित बयान के लिए अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। इसके चलते पिछले पांच साल में उन पर तकरीबन छह से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए।
समाजवादी पार्टी को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार अपराधियों को संरक्षण देने वाली पार्टी कहा जाता है। बीजेपी के कई नेता सपा पर अपराधियों के संरक्षण और उनका बचाव करने का आरोप लगाते हैं। बात चाहे आजम खां की हो, अतीक अहमद की हो या मुख्तार अंसारी की। ये सभी नाम समाजवादी पार्टी पर लगाए गए इन आरोपों को सही साबित करने का पूरा काम करती है। लेकिन इतने बड़े चुनाच को लड़ने से पहले जारी हुई प्रत्याशियों की सूची ने बार फिर विपक्ष के आरोपों को सही साबित किया है।