दिल्ली में सरकार मतलब ‘उपराज्यपाल’, मनीष सिसोदिया ने केंद्र पर साधा निशाना
नई दिल्ली। आने वाले दिनों में दिल्ली की आम आदमी पार्टी और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच तकरार बढ़ सकती है। दरअसल, केंद्र सरकार GNCTD एक्ट में बदलाव करने के लिए एक संशोधन बिल लेकर आई है। इस बिल को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार अधिकारों को लेकर फिर से आमने-सामने आ सकते हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को कहा कि ‘केंद्र सरकार संसद में दिल्ली के संबंध में असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बिल लेकर आई है। केंद्र सरकार GNCTD एक्ट में बदलाव करने के लिए एक संशोधन बिल लेकर आई है। इस बिल में लिखा है कि इसके आने के बाद दिल्ली सरकार का मतलब होगा उप राज्यपाल। दिल्ली में चुनी हुई सरकार का मतलब अब कुछ नहीं होगा। ये बहुत खतरनाक संशोधन है। इसमें लिखा है कि चुनी हुई सरकार जो फैसले लेगी उसकी फाइल अब उप राज्यपाल के पास भेजनी पड़ेगी।
मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र सरकार के संशोधित बिल जिससे उप राज्यपाल (LG) की ताकत बढ़ेगी। आज केंद्र सरकार संसद में अलोकतांत्रिक बिल दिल्ली के सम्बंध में लेकर आई है। दिल्ली को चलाने के एक्ट में बदलाव का बिल लेकर आई है। ये संशोधित बिल संविधान के खिलाफ है। इस बिल में लिखा है दिल्ली सरकार का मतलब LG होगा, चुनी सरकार को कोई मतलब नहीं रहेगा। ये बहुत ही खतरनाक संशोधन है।
सिसोदिया ने कहा कि संशोधित बिल में लिखा है चुनी हुई सरकार या मंत्रिमंडल को हर फाइल LG के पास भेजनी होगी। फिर तो चुनाव और मुख्यमंत्री का कोई मतलब नहीं रहा। ये तानाशाही भरा बिल है। सवाल ये है कि चुनाव क्यों कराते हो? अगर फैसला लेने की पावर नहीं है तो मुख्यमंत्री और विधानसभा क्यों बनाते हो?
मनीष सिसोदिया (दिल्ली का संविधान पढ़ते हुए) ने कहा कि दिल्ली सरकार कैसे बनेगी, सरकार कैसे काम करेगी इसका स्पष्ट जवाब संविधान में लिखा गया है। संविधान के मुताबिक दिल्ली की एक विधानसभा होगी, चुनी हुई विधानसभा के पास 3 मसलों को छोड़कर सभी मसलों पर कानून बनाने का अधिकार होगा। LG और सरकार में कोई मतभेद होगा तो मामला राष्ट्रपति के पास जाएगा। जब विधायक खरीदने में फेल हो गए तब बीजेपी नया बिल लाकर दिल्ली में पीछे के दरवाजे से सरकार चलाना चाहती है।