दोनों पक्ष मिल-बैठकर समाधान निकाल सकें तो अच्छा होगा : कृषि मंत्री तोमर
नई दिल्ली। दिल्ली में किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अगली बैठक 19 जनवरी को 12 बजे विज्ञान भवन में ही की जाएगी। हालांकि इस बार की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सौहाद्र्रपूर्ण माहौल में बातचीत की। उन्होंने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया एवं लोहड़ी तथा मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं भी दीं। मंत्रियों ने किसान संगठनों को आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाये रखने के लिए धन्यवाद दिया और आंदोलन समाप्त करने के लिए पुन: आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने किसानों के साथ बातचीत करते हुए आगे कहा ,”हमें औपचारिक या अनौपचारिक समूह बनाकर कृषि सुधार कानून के विषय पर समाधान की चर्चा करनी चाहिए और चर्चा के दौरान जो भी सहमति बनेगी, उससे समाधान का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।”
“जिन मुद्दों पर सहमति नहीं होगी, उन प्रावधानों पर तर्कपूर्ण मंथन कर संशोधन करने का विचार किया जा सकता है। लोकतंत्र में उच्चतम न्यायालय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता है। अगर दोनों पक्ष मिल-बैठकर समाधान निकाल सकें तो अच्छा होगा।”
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कानून के प्रावधानों पर किसान प्रतिनिधियों से बिन्दुवार चर्चा करने का पुन: जोर देकर आग्रह किया और कहा कि “अभी तक इन प्रावधानों पर बिन्दुवार चर्चा नहीं हो सकी है। हर राज्य की अलग-अलग परिस्थितियां हैं और बड़ी संख्या में किसानों ने इन कानूनों पर अपना समर्थन व्यक्त किया है।”
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि एमएसपी पर किसानों की उपज की खरीद के लिए इस खरीदी वर्ष के दौरान खरीदी/उपार्जन मंडियों की संख्या बढ़ाकर डेढ़ गुना कर दी गई है तथा मंडियों के उन्नयन के प्रस्ताव पर भी सरकार द्वारा सकारात्मक निर्णय लिए गए हैं।”
उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम पर चर्चा के दौरान बताया , “संशोधन द्वारा इस अधिनियम को और सशक्त तथा किसानों के लिए लाभकारी बनाया गया है। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्यान्नों की खपत को ध्यान में रखकर ही इस अधिनियम में सरकार द्वारा उचित प्रावधान किए गए हैं।”
हालांकि बैठक खत्म होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी स्वीकार नहीं है, किसान कानून वापस लेने पर अड़े हैं। अगली बैठक पर भी इन्ही मुद्दों पर बात होगी।