ध्वस्त हो चुके ट्विन टावर की जगह पर बनेगा भव्य मंदिर, रामलला और भोलेनाथ होंगे विराजमान
उत्तर प्रदेश के नोएडा में बना ट्विन टावर ध्वस्त हो चुका है. उसके बाद वहां क्या बनाया जाएगा इस बात को लेकर आज (गुरुवार) आरडब्ल्यूए की मीटिंग हुई. मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाएगा. जहां पर रामलला और भोलेनाथ के साथ अन्य भगवान की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा. साथ ही साथ बच्चों को खेलने के लिए एक बड़ा पार्क पर बनाया जाएगा, जिसमें हरियाली पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
आरडब्ल्यूए ने मीटिंग कर इस बात पर फैसला लेने की बात कही है और यह कहा है कि सभी सोसाइटी वाली वासियों की भी यही मर्जी है. हालांकि सबसे बड़ी बात है कि अभी तक सुपरटेक के एमरोल्ड टावर का हैंडोवर सोसाइटी को नहीं हुआ है. अभी भी मालिकाना हक बिल्डर का है.अगर बिल्डर वहां पर किसी तरीके का कोई भी कंस्ट्रक्शन करता है तो उसे दो तिहाई सोसाइटी वालों की सहमति लेनी होगी.
आरडब्ल्यूए के लोगों का कहना है कि सोसाइटी वाले पूरी तरह से आरडब्ल्यूए के साथ हैं और अगर इस पर फिर से कोई कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो वह तैयार रहेंगे.
सोसाइटी की तरफ से वहां एक हरे-भरे पार्क और एक भव्य मंदिर के लिए पहले से योजना बनाकर रखी गई है और यह भी कोशिश की जा रही है कि जो पार्क बनाया जाएगा. इसमें सबसे ज्यादा हरियाली रहे ताकि बच्चों को खेलने के साथ-साथ बुजुर्गों को बैठने और टहलने के लिए एक उचित स्थान मिले.
मलबे से क्या बनेगा?
ट्विन टावर के मलबे के निस्तारण सेक्टर 80 में बने सीआईडी वेस्ट प्लांट में किया जाएगा. सेक्टर-80 सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में जाएगा. ये प्लांट रैमकी कंपनी चला रही है. नोएडा का रोजाना का करीब 250 से 300 मैट्रिक टन मलबे का निस्तारण यहीं किया जाता है. अब इस प्लांट में ट्विन टावर के मलबे का निस्तारण होगा.
मलबा निस्तारण के लिए इस प्लांट पर काम दो शिफ्टों में होगा. प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक आर.के. शर्मा ने बताया कि प्लांट की क्षमता 850 टन की है, लेकिन नोएडा में मलबा निकलने के हिसाब से निस्तारित कराया जाता है. अब दो शिफ्टों में काम किया जाएगा,जिसके लिए मैन पावर को बढ़ाया जा सकता है. इस मलबे से टाइल्स, क्लिंकर, ईंट और अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे.
रोजाना ट्विन टावर की साइट से 250 मेट्रिक टन मलबा डंपर के जरिए साइट पर पहुंचाया जाएगा. इसके लिए 20 डंपर लगाए गए हैं. प्रति डंपर क्षमता 10 से 12 मेट्रिक टन की है. एनजीटी के नियमों के पालन करते हुए इस मलबे को ग्रीम शीट और उस पर पानी डालकर ले जाया जाएगा ताकि धूल नहीं उड़े.
ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद जो मलबा निकला है उसका आकलन करीब 80 हजार मेट्रिक टन है. इसमें 52 हजार मेट्रिक टन मलबा बेसमेंट और आसपास को भरने में काम आएगा. 28 हजार मेट्रिक टन मलबे का निस्तारण होगा.