नेताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस ले सकती है राज्य सरकार, लेकिन हाईकोर्ट की इजाजत अनिवार्य- सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को अहम मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि नेताओं (Cases Against Politicians) के खिलाफ दायर किया गया मुकदमा राज्य सरकार वापस ले सकती है. अगर दुर्भावना से नेताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज हुआ है तो मुकदमा वापस हो सकता है. लेकिन जरूरी है कि हाईकोर्ट इस बात की समीक्षा करे कि मुकदमा वापस लेना सही है या नहीं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट के सलाहकार ने एक रिपोर्ट जमा की थी, जिसमें बताया गया था कि कई राज्यों ने सांसद और विधायकों के खिलाफ दर्ज अपराधिक मुकदमा वापस ले लिया है.
इसमें उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी बनाए गए कई विधायक भी थे. सबसे ज्यादा मुकदमे उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में वापस लिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने तब आदेश दिया था कि सांसदों या विधायकों के खिलाफ कोई भी मुकदमा बिना हाईकोर्ट के आदेश के राज्य सरकार वापस नहीं ले सकती है.
इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई बार नेताओं के खिलाफ दुर्भावना से मुकदमा दर्ज किया जाता है. चीफ जस्टिस एनवी रमण ने आज साफ किया कि अगर कोई मुकदमा दुर्भावना से दर्ज हुआ है तो राज्य सरकार इसे वापस ले सकती है.लेकिन सुप्रीम कोर्ट सिर्फ ये चाहता है कि इसकी समीक्षा हाई कोर्ट करे ताकि कोई मुकदमा गलत तरीके से वापस न ले लिया जाए.