पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2018 : ममता बनर्जी की बड़ी जीत
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में टीएमसी प्रत्याशियों के 34 प्रतिशत सीट पर निर्विरोध जीत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को अपने फैसले में टीएमसी को राहत देते हुए निर्विरोध निर्वाचन वाली सीटों पर दोबारा चुनाव की अनुमति नहीं दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों को ई-फाइलिंग से नामांकन की इजाजत दी थी. कोर्ट ने कहा कि अनिर्वाचित उम्मीदवार 30 दिन में स्थानीय अदालत में चुनाव याचिका दाखिल कर सकते हैं.
दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा था कि जब 16 हजार सीटों पर उम्मीदवारों का निर्विरोध चुनाव हुआ तो क्या आयोग ने ये जांच की कि लोगों को नामांकन करने से रोका गया? ऐसा करना आपका कर्त्तव्य है, निष्पक्ष चुनाव कराना आपका संवैधानिक दायित्व है. आयोग ने कहा था कि हमारे पास जो भी शिकायतें आयीं हमने उस पर कार्रवाई की है. पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग ने कहा था कि 33% सीटों पर निर्विरोध चुनाव असामान्य नहीं है. यूपी में 57% और हरियाणा में 51% पंचायत सीटों पर प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे.
राज्य चुनाव आयोग को लगाई थी फटकार
राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यूपी और हरियाणा में 50% से ज़्यादा सीट पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुके हैं. बंगाल में हमने अपने पास आई शिकायतों पर कार्रवाई की. पश्चिम बंगाल सरकार ने बीजेपी, सीपीएम, कांग्रेस की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि कोई उम्मीदवार डर या दिक्कत का हवाला देते हुए कोर्ट नहीं पहुंचा. पार्टियां राजनीति कर रही हैं. उनकी याचिका के चलते राज्य में ग्राम सभाओं का गठन रुका हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा था कि कुछ सीटों पर किसी दूसरे प्रत्याशी का खड़ा नही होना या बिना चुनाव लड़े निर्विरोध निर्वाचन हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे में लग रहा है कि ग्रासरूट स्तर पर लोकतंत्र काम नही कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये बेहद चौकने वाला है कि हजारों की तादात में सीटों पर निर्विरोध जीता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिरहम, बांकुरा, मुर्शिदाबाद और पूर्व बर्धमान में सबसे ज्यादा सीटें पर प्रत्याशी निर्विरोध जीत रहा है.
क्या है पूरा मामला
मई में पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में करीब 34 प्रतिशत सीटों पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. विपक्षी दल प्रत्याशी ही नहीं उतार पाए थे. विपक्षी दलों का आरोप था कि सत्तारूढ़ दलों के आतंक व हमले की वजह से प्रत्याशी नामांकन ही नहीं कर पाए. उनके आरोपों व शिकायतों को सत्य मानते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव में ई-नामांकन की अनुमति दी थी. इस फैसले को राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
ई-नामांकन पर रोक के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने 3 जुलाई तक निर्विरोध निर्वाचित सीटों के परिणाम की घोषणा पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को कड़ी फटकार लगाई थी और इतनी अधिक सीटों पर निर्विरोध जीतने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए टिप्पणी की थी कि क्या बंगाल में लोकतंत्र निचले स्तर पर नहीं है? इसके बाद चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए बीजेपी, लेफ्ट, कांग्रेस ने अर्जी दाखिल की थी. बीजेपी, लेफ्ट, कांग्रेस का आरोप था कि हिंसा के ज़रिए टीएमसी ने नामांकन दाखिल नहीं करने दिया था.