पीएनबी घोटाला: चोरी के बाद सीनाजोरी पर उतरा नीरव मोदी, बकाया चुकाने से इनकार
नई दिल्ली। भारत में बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी नीरव मोदी अब सीनाजोरी पर उतर आया है। घोटाले पर पहली बार बयान देते हुए उसने कहा है कि पंजाब नैशनल बैंक द्वारा मामले को सार्वजनिक कर दिए जाने से अब बात बिगड़ गई है और बैंक ने उससे बकाया वसूलने के सारे रास्ते बंद कर लिए हैं। साथ ही मोदी का दावा है कि उसकी कंपनियों पर बकाया बैंक द्वारा बतायी जा रही राशि से बेहद कम है। मोदी ने 15/16 फरवरी को पत्र लिखकर बैंक प्रबंधन को अपने इरादों के बारे में बता दिया है। इसमें उसने कहा है कि उसके पास 5,000 करोड़ रुपये से भी कम का बकाया है।
इस पत्र में नीरव मोदी ने कहा है कि कर्ज की जानकारी मीडिया में आने के बाद मेरी कंपनियों के खिलाफ छापेमारी और संपत्ति जब्त करने का सिलसिला शुरू हो गया। इसने बैंकों का बकाया चुकाने की मेरी क्षमता खत्म कर दी है। नीरव ने लिखा है कि 13 फरवरी को मैंने बकाया चुकाने के सिलसिले में प्रस्ताव रखा था। लेकिन, पैसा तुरंत वसूलने की जल्दबाजी में आपने इसके अगले दिन ही सार्वजनिक एलान कर दिया। 15 फरवरी को मैंने फिर से प्रस्ताव रखा। इसके बावजूद आपकी कार्रवाइयों ने मेरे ब्रांड और कारोबार को चौपट कर दिया है। इसके साथ ही आपने बकाया वसूली की अपनी क्षमता भी खत्म कर ली है।
पत्र में नीरव ने बैंक अधिकारियों के साथ अपनी और अपने प्रतिनिधियों की बातचीत का हवाला भी दिया है। इसके अलावा विगत 13 और 15 फरवरी को भेजे अपने ई-मेल का भी जिक्र किया है।
उसने अपने भाई और पत्नी का नाम गलत तरीके से प्राथमिकी में डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन लोगों को उसके कारोबार से कोई लेना-देना नहीं रहता है। उसने कहा है कि मेरी कंपनियों पर 11,400 करोड़ रुपये का कर्ज होने की बात पूरी तरह से गलत है। बैंक द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद भी मैंने प्रस्ताव रखा था कि आप फायरस्टार ग्रुप या उसकी कीमती संपत्तियों को बेचकर बकाया वसूल लीजिए या फिर मुझे इजाजत दीजिए कि मैं अपने तीन फर्मों की संपत्तियों को बेचकर बकाया चुका दूं। उसने कहा है कि फायरस्टार इंटरनेशनल और फायस्टार डायमंड इंटरनेशनल किसी बैंक का डिफॉल्टर नहीं है और बैंकर पूरी तरह सुरक्षित हैं।
डिप्टी मैनेजर को थी पांचवें स्तर के पासवर्ड की जानकारी
पीएनबी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने जांचकर्ताओं को बताया है कि उसने अनधिकृत रूप से स्विफ्ट प्रणाली के पांचवें स्तर के पासवार्ड को प्राप्त कर लिया था, जिसका इस्तेमाल इस घोटाले में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग(एलओयू) और विदेशी साख पत्र (एफएलसी) के जरिए पैसा जारी करने के लिए किया गया। शेट्टी ने यह खुलासा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों द्वारा उनसे एलओयू के अंतर्गत दूसरे बैंकों को गारंटी और एफएलसी मुहैया कराने की कार्यप्रणाली के संबंध में पूछताछ के बाद किया। शेट्टी ने जांचकर्ताओं को यह भी बताया कि उसने इस पासवर्ड को अन्य लोगों, जरूरी कर्मचारियों और नीरव मोदी की कंपनी के निदेशकों के साथ साझा किया था।
पांचवें स्तर का पासवर्ड वह जरिया था, जिसके तहत स्विफ्ट प्रणाली के जरिए नीरव मोदी और गीतांजलि समूह को कई बैंकों से पैसे जारी किए गए थे, जिस वजह से 11,300 करोड़ रुपये का पीएनबी धोखाधड़ी संभव हो सका। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संचार प्रणाली(स्विफ्ट) का मुख्यालय बेल्जियम में है, जो एक नेटवर्क मुहैया कराती है, जिसके अंतर्गत सुरक्षित और मानकीकृत तरीके से वित्तीय संस्थाओं को वित्तीय लेन-देन के लिए सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं या भेजी जाती हैं।