पुरी में शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, PM मोदी ने दी बधाई
पुरी। ओडिशा के पुरी में भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथ यात्रा मंगलवार को शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता की उपस्थिति के बिना सीमित तरीके से इसे आयोजित करने के निर्देश के बाद वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई। पुजारियों ने भोर में ‘मंगल आरती’ का आयोजन किया।
शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई। तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ – नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया।
रथों को पुरी के गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाएगा, जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस साल 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें कोविड -19 टेस्ट कराने के बाद नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही अनुमति दी जाएगी। इनमें मंदिर के सेवक और पुलिसकर्मी शामिल होंगे। पुरी के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बलवंत सिंह ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सभी सहयोग कर रहे हैं। मैं सभी भक्तों से अनुरोध करता हूं कि वे घर पर रहें और त्योहार का सीधा प्रसारण देखें।
पीएम मोदी ने दीं शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि श्रद्धा और भक्ति से भरी यह यात्रा देशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य लेकर आए। जय जगन्नाथ!
भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है गुंडिचा मंदिर
गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर मना जाता है। यहां भगवान सात दिनों तक आराम करते हैं। इसके बाद वापसी की यात्रा शुरु होती है। ओडिशा में पुरी के अलावा भी कई जगहों पर ऐसी यात्राएं आयोजित की जाती हैं। अहमदाबाद में भी रथयात्रा निकलती है। आज गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाकर रथ खींचा।