पुलवामा हमला : भारत को धमकी, कहा-युद्ध हुआ तो जवाब देंगे : पाक सेना

इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की सेना ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पाकिस्तान सेना ने शुक्रवार को पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा की गई पहल को खारिज कर दिया, जिसमें मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेना भी शामिल है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के डीजी मेजर जनरल आसिफ गफूर ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम जंग के लिए तैयार नहीं हो रहे, लेकिन भारत इसकी धमकी दे रहा है। डीजी गफूर ने कहा कि पाकिस्तान जंग की शुरुआत करने में नहीं लगा है लेकिन अगर दूसरी तरफ से युद्ध थोपा जाता है तो हम इसका माकूल जवाब देंगे।

गफूर ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एलओसी पार करके कोई वहां (पुलवामा) पहुंच जाए जहां उनके सुरक्षा बल मौजूद हैं। यदि ऐसा हुआ तो उनकी फोर्स वहां 70 साल से है। फिर तो उन्हें अपने फोर्स से सवाल पूछना चाहिए। उन्होंने इतने सालों से वहां पर इतना पैसा बर्बाद किया है। जिस गाड़ी से हमला हुआ वह पाकिस्तान से नहीं गई। जिसने हमला किया वह वहीं का लडक़ा है, उसकी हिस्ट्री देखिए। वह 2007 में गिरफ्तार हुआ था।’

पाक पर आरोप लगाता है भारत…

पाक आर्मी के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, ‘जैसा कि होता है कि भारत में किसी वाकए के फौरन बाद फौरी तौर पर पाक पर आरोप लगा दिया जाता है। हमने इस बार जवाब देने के लिए थोड़ा वक्त लिया। क्योंकि जो आरोप लगाए गए थे हमने उनकी जांच की। 1947 में पाकिस्तान आजाद हुआ। इस हकीकत को भारत कभी कबूल नहीं पाया। 1965 में हमारे बीच पहली बार युद्ध हुआ। 1971 में मुक्तिवाहनी के जरिए साजिश से हमें हटाया गया। 1999 में वो कारगिल ले आए। भारत आज तक यह कबूल नहीं कर पाया कि पाकिस्तान आजाद हो चुका है।’

भारत हमारे देश में दहशतगर्दी कर रहा है…

गफूर ने कहा, ‘1947 से कश्मीरियों पर जुल्म हो रहे हैं। भारत हमारे देश में दहशतगर्दी कर रहा है। हमारी पूर्वी सरहद पर भारत बार-बार आक्रामकता दिखाता है। 2008 में हम जब दहशतगर्दी के खिलाफ जंग लड़ रहे थे, तब एक बार फिर भारत सरहद पर अपनी फौज को ले आया। भारत की दहशतगर्दी का सबूत कुलभूषण यादव के रूप में मौजूद है। पाकिस्तान हमेशा अमन की बात करता रहा है। एलओसी पर सीजफायर भी हमने कायम रखा है। 2001 पर भारतीय संसद पर हमला हुआ, उस समय भी भारत में चुनाव होने थे।’

कुलभूषणों को हमारे यहां न भेजें…

गफूर ने कहा, ‘भारत में पहले भी कई लोगों ने इस किस्म के हमले का अंदाजा लगाया था। यह मुमकिनात उनकी सोशल मीडिया पर आई थीं। यह भी देख लें कि उस हमले में कश्मीर में जो मौतें हुई हैं, उनकी क्लास कंपोजिशन क्या है। पुलवामा में जब आदिल का जनाजा हुआ तो कई लोगों ने उसमें शिरकत की। आप दुनिया की सबसे बड़ी जम्हूरियत हैं। दो जम्हूरियतों के बीच कभी जंग नहीं होती। आप एक सेक्युलर मुल्क हैं, लेकिन जो कश्मीरी लोगों के साथ वहां हो रहा है वो ठीक नहीं है। आप अमन चाहते हैं, तरक्की चाहते हैं तो कुलभूषणों को हमारे यहां न भेजें।’

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