फ्लैट देने में देरी पर नहीं चलेगा कोई बहाना, DLF की एक कंपनी पर लगा जुर्माना

ग्राहकों को समय पर नए फ्लैट्स नहीं दिए जाने के लेकर अब एक बड़ा फैसला लिया गया है. अब से कोई भी बिल्डर होमबायर्स को समय पर फ्लैट नहीं दे पाने के पीछे अथॉरिटीज से अप्रूवल्स नहीं मिलने, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया बाधित होने या किसी अन्य परेशानियों का हवाला नहीं दे सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश के सर्वोच्च उपभोक्ता आयोग ने यह आदेश दिया है. नेशनल कन्ज्यूमर डिस्प्यूट्स रीड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने दिग्ग्ज रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ (DLF) की एक सहायक कंपनी को हरियाणा के पंचकूला वाले एक प्रोजेक्ट के बायर्स को फ्लैट्स आवंटित करने का निर्देश दिया है.

होम बायर्स से लिए पैसे पर ब्याज देने का आदेश

इसके साथ ही, कमीशन की दो सदस्यीय बेंच ने बिल्डर से कहा है कि वह बायर्स को कानूनी खर्च के रूप में 1 लाख रुपए दे. साथ ही बायर्स से लिए पैसे पर ब्याज देने का आदेश भी दिया गया है. सिर्फ इतना ही नहीं कमीशन ने ब्याज की गणना फरवरी 2014 से होम लोन पर बैंकों की ब्याज दर के मुताबिक करने को कहा है. कमीशन ने बिल्डर को सेल-डीड्स का रजिस्ट्रेशन पूरा करने को भी कहा है जिनका खर्च होम बायर्स ही उठाएंगे.

ढांचागत नक्शा और पूरी प्लानिंग होम बायर्स को सौंपे 

वहीं एनसीडीआरसी के इस आदेश पर बिल्डर ने कहा है कि वह निर्धारित तारीख तक फ्लैट्स आवंटित कर देगा. पूरे देश के लिए असरदार साबित होने वाले इस आदेश में डीएलएफ होम्स पंचकुला प्राइवेट लिमिटेड को कहा गया है कि वह कंस्ट्रक्शन, बिजली-पानी, साफ-सफाई आदि की व्यवस्था से संबंधित ढांचागत नक्शा और पूरी प्लानिंग होम बायर्स को सौंपे ताकि उन्हें जरूरी मेंटनेंस या रिपेयर के लिए बिल्डर पर निर्भर नहीं रहना पड़े. बेंच ने कहा कि सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए बिल्डर ही जिम्मेदार होंगे.

प्रोजेक्ट में देरी की वजह से बढ़ी लागत का जिम्मेदार बिल्डर हैं 

उसने डीएलएफ को अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए स्टेट कमीशन के कन्ज्यूमर एड अकाउंट में 25-25 हजार रुपए जमा करने को कहा है. डीएलएफ के प्रवक्ता ने कहा, मामला कमीशन के अधीन है और हम आगामी कदम के लिए कानूनी सलाह ले रहे हैं. बता दें कि एनसीडीआरसी, डीएलएफ हरियाणा स्टेट कन्ज्यूमर कमीशन के फैसले के खिलाफ गई थी. इसी की सुनवाई के दौरान एनसीडीआरसी ने ये बातें कही हैं. कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रोजेक्ट में देरी की वजह से बढ़ी लागत का जिम्मेदार बिल्डर हैं न कि होम बायर्स.

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