बैंक हड़ताल सफल रही, आईबीए है जिम्मेदार : यूनियन
चेन्नई/अगरतला/गुवाहाटी: वेतन संशोधन जल्द करने की मांग को लेकर 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारियों की लगातार दूसरे दिन हड़ताल से देश भर में बैंकिंग सेवाएं बाधित रही. बैंक यूनियनों ने यह जानकारी दी है. यूनियनों ने इस हड़ताल के लिए सीधे-सीधे इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि उन्होंने हमें दो दिनों की बैंक हड़ताल करने के लिए मजबूर किया, जिससे करीब 43,000 करोड़ रुपये के बैंकिंग लेन-देन पर असर पड़ा.
ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को बताया, “दो दिनों की यह हड़ताल बेहद सफल रही.” उन्होंने कहा, “यह आईबीए है, जिसने लोगों को परेशानी में डाला. यूनियनें इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं. यूनियनों ने हड़ताल का नोटिस हड़ताल से 20 दिन पहले ही दे दिया था. आईबीए ने हमारे नोटिस का जवाब नहीं दिया.”
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव डी. टी. फ्रैंकों ने भी आईएएनएस से कहा कि इस हड़ताल के लिए आईबीए को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “यहां तक मुख्य श्रम आयुक्त (दिल्ली) द्वारा आहूत समझौता बैठक में भी आईबीए ने एक कनिष्ठ अधिकारी को भेजा, जिसके पास फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं था.”
पूर्वोत्तर के राज्यों में बैंकिंग सेवाएं बहुत अधिक प्रभावित रही. प्रमुख बैंकों की ज्यादातर शाखाएं बंद रहीं और ज्यादातर एटीएम में पैसे खत्म हो गए. हड़ताली कर्मचारियों के नेताओं ने दावा किया कि सभी उत्तरपूर्वी राज्यों में बैंक हड़ताल को जबरदस्त समर्थन मिला. आंदोलित बैंक कर्मचारियों के संगठनों के दवाब में बुधवार और गुरुवार को कई निजी बैंकों की भी शाखाएं बंद रहीं.
वेंकटचलम ने कहा, “आईबीए ने जहां ग्राहकों को परेशानी में डाला है वहीं बैंकों को इस दो दिन की हड़ताल से बचत ही होगी क्योंकि कर्मचारियों को इस दो दिनों का वेतन नहीं मिलेगा. साथ ही बैंक को बिजली के खर्च में बचत होगी, क्योंकि शाखाएं बंद रही हैं.” यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने इस दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था, जो बुधवार से शुरू हुई थी.
वेंकटचलम ने कहा कि यूनियनों ने आईबीए से गुजारिश की थी कि वे दो फीसदी वेतन वृद्धि के प्रस्ताव की तुलना में कुछ बेहतर प्रस्ताव लेकर आए, ताकि हड़ताल को टाला जा सके.