बोरिस जॉनसन की चुनावी जीत से भारत को कितना होगा फायदा
लंदन। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की बड़ी चुनावी जीत के साथ ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन में जारी असमंजस खत्म हो गया। यह परिवर्तन भविष्य में ब्रिटेन-भारत के बीच रणनीतिक संबंधों के लिए भी एक अच्छा संकेत है। जॉनसन के 31 जनवरी तक ‘ब्रेक्जिट करने’ के मुख्य वादे को लागू करने के समर्थन में मतदाताओं ने ऐतिहासिक जनादेश दिया। ब्रिटेन में 12 दिसंबर को हुए मध्यावधि चुनाव के केंद्र में ब्रेक्जिट ही था। जून 2016 में जनमत संग्रह हुआ था जो ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने यानी ब्रेक्जिट के पक्ष में रहा था। तब से ब्रिटेन की राजनीति पर यह विषय हावी रहा।जॉनसन ने टेरीजा मे से 10 डाउनिंग स्ट्रीट की कमान जुलाई में ली थी। पूर्व प्रधानमंत्री टेरीजा मे ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग कराने संबंधी विधेयक को संसद से पारित कराने में कई बार असफल रही थीं। हालांकि हाउस ऑफ कॉमन्स में जॉनसन को भी इस प्रस्ताव को लेकर इसी तरह का संघर्ष का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने क्रिसमस से पहले मध्यावधि चुनाव कराने का जोखिम उठाया लेकिन यह उनके लिए फलदायी रहा। इसमें उन्होंने 364 सीटें जीतीं। उनकी जीत के साथ ब्रिटेन 28 सदस्यीय आर्थिक संघ से 31 जनवरी तक अलग होने की राह पर आगे बढ़ रहा है। वहीं, यह भारत के साथ ब्रिटेन के करीबी संबंधों की दिशा में प्रगति का सूचक भी है।
चुनाव से कुछ दिन पहले स्वामीनारायण मंदिर में माथे पर तिलक लगाए जॉनसन ने कहा था कि मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए भारत का निर्माण कर रहे हैं। और यहां हम, ब्रिटेन की सरकार इसमें उनका पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन के भारतीयों ने पहले भी कंजर्वेटिव दल को चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब मैंने नरेंद्र भाई (मोदी) को यह बताया तो वह हंस पड़े और उन्होंने कहा कि भारतीय हमेशा विजेता पक्ष की ओर रहते हैं।
जॉनसन की जीत पर सबसे पहले बधाई देने वाले नेताओं में से एक प्रधानमंत्री मोदी भी थे। जॉनसन के शासन ने ‘अध्ययन के बाद कामकाज संबंधी वीजा’ बहाल करने का फैसला लिया था जिसका असर यह पड़ा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पंजीयन कराने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 63 फीसदी अधिक थी। आने वाले वर्ष में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामलों पर भी नजर रहेगी। नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले पर सुनवाई लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट में मई 2020 में होगी। वहीं, लंदन के उच्च न्यायालय में अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील का अधिकार प्राप्त करने के बाद से माल्या जमानत पर है। इस अपील पर अगले साल फरवरी में सुनवाई होगी।