पटना : बिहार के भागलपुर में हुए उपद्रव मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अरिजीत शाश्वत ने एफआईआर खारिज करने की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस मामले में हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा. आपको बता दें कि अरिजीत को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अरिजीत शाश्वत को पटना के शास्त्री नगर स्थित हनुमान मंदिर के पास से पुलिस ने हिरासत में लिया था. शास्त्री नगर की दूरी मुख्यमंत्री आवास से लगभग 300 मीटर की है.वहीं अरिजीत शाश्वत के पिता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियों की ओर से यह गलत एफआईआर दर्ज करवाई गई है. जब अर्जित की अग्रिम जमानत की खारिज हो गई तो कोर्ट का सम्मान करते हुए उन्होंने खुद ही सरेंडर कर दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वो केंद्र और राज्य सरकार से किसी भेदभाव के जांच कराने की मांग करते हैं.
शाश्वत ने पत्रकारों से कहा कि वह कह चुके हैं कि वह न्यायलय के शरण में हैं और न्यायालय के शरण में गया हुआ व्यक्ति कहीं भागता नहीं है. अब वह उच्च न्यायालय का दरवजा खटखटाएंगे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) सहित प्रदेश के तमाम आलाधिकारियों को पत्र के माध्यम से 22 मार्च को सूचित कर दिया था कि नव वर्ष के शोभा यात्रा के बीत जाने के बाद नाथनगर थाना का रवैया बिल्कुल असंतोषजनक और आपत्तिजनक रहा है.शाश्वत ने आरोप लगाया कि हमारे जैसे राष्ट्रभक्तों और जयश्रीराम बोलने वाले भाजपा कार्यकर्ता और आरएसएस के स्वयंसेवक उस शोभा यात्रा में शामिल थे. उनकी मंशा भारत माता की जय और वंदे मातरम कहने की थी. हमने कोई गलत काम नहीं किया है. उन्होंने पूछा कि भारत माता की जय और जय श्रीराम तथा वंदे मातरम बोलना क्या अपराध की श्रेणी में आता है. शाश्वत ने भागलपुर की घटना को प्रशासन की चूक बताते हुए आरोप लगाया कि इस मामले में प्रशासन ने अपना ठीकरा जिस प्रकार से भाजपा के आठ पदाधिकारियों पर फोड़ने का काम किया है उसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि बिहार में जो तनावपूर्ण माहौल बनाए जाने की कोशिश की जा रही है इसके पीछे राजद और कांग्रेस के लोग हैं.गौरतलब है कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के शुरू होने के उपलक्ष्य में 17 मार्च को शाश्वत के नेतृत्व में शोभा यात्रा निकाली गई थी. इस दौरान जोर से ध्वनि बजाने का विरोध किए जाने के बाद भड़की संप्रदायिक हिंसा में दो पुलिसकर्मियों सहित कई व्यक्ति जख्मी हो गए थे. इस मामले में भागलपुर जिला के नाथनगर थाना में दर्ज की गई दो प्राथमिकी में शाश्वत के अलावा आठ अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था.