भारत-अमेरिका के बीच 2+2 बैठक, एस्पर और राजनाथ सिंह के बीच हुई अहम बातचीत
नई दिल्ली: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर तीसरी ‘2+2’ मंत्री स्तरीय बैठक के लिए सोमवार को भारत पहुंचे। बैठक के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों के साथ-साथ सहयोग बढ़ाने पर केन्द्रित होने की उम्मीद है। अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ अपने भारतीय समकक्षों क्रमश: राजनाथ सिंह तथा एस.जयशंकर के साथ मंगलवार को 2+2 मंत्रीस्तरीय बैठक करेंगे, जिसमें रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
बातचीत में क्या-क्या मुद्दे होंगे?
वार्ता में कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें हिंद -प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का चीन का प्रयास और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में उसका आक्रामक व्यवहार भी शामिल है। पिछले कुछ महीने से अमेरिका कई विवादास्पद मुद्दों को लेकर चीन पर हमले कर रहा है, जिसमें भारत के साथ सीमा विवाद, दक्षिण-चीन सागर में इसकी सैन्य उग्रता और हांगकांग में सरकार विरोधी प्रदर्शनों से निपटने का तरीका शामिल है।
क्या है 2+2 वार्ता?
2 + 2 वार्ता से मतलब है- द्विपक्षीय बातचीत। यह दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली बातचीत होती है। बैठक का यह फॉर्मेट जापान से शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्य दो देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय राजनयिक और राजनीतिक बातचीत को सुविधाजनक बनाते हुए सफल करने का प्रयास करना है। भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता का यह तीसरा संस्करण है। इससे पहले दो बार यह बातचीत हो चुकी है।
PM मोदी से भी मिलेंगे पोम्पियो और एस्पर
पोम्पियो और एस्पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका के रक्षा मंत्री एस्पर को सोमवार की दोपहर रायसीना हिल्स के साउथ ब्लॉक के लॉन में सलामी गारद पेश किया जाएगा। उम्मीद है कि दोनों पक्ष काफी समय से लंबित BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट) को भी अंतिम रूप देंगे ताकि द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाया जा सके।
BECA को भी अंतिम रूप दिया जा सकता है
BECA के तहत दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजो-सामान और भूस्थानिक मानचित्रों का आदान-प्रदान करना शामिल है। अमेरिका के साथ BECA से भारत को बेहद सटीक जियोस्पेशियल डेटा मिलेगा जिसका सेना में बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से भारत-अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों में काफी तेजी आई है।