महाराष्ट्र के CM शिंदे को जान से मारने की धमकी, पहले मिला लेटर, अब आया फोन
सीएम एकनाथ शिंदे को जान से मारने की धमकी मिली है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को आत्मघाती विस्फोट से उड़ाने की धमकी दी गई है. इसकी जानकारी गुप्तचार विभाग को मिली है. विश्ववसनीय सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आ रही है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे को जान से मारने की धमकी से भरा एक पत्र एक महीने पहले आया था जिसमें सीएम शिंदे को जान से मारने की बात कही गई थी. अब धमकी देने वाला फोन भी आया है. इससे पहले भी नक्सलवादियों द्वारा मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक एकनाथ शिंदे को तीन बार जान से मारने की धमकी दी गई है. एक बार तब भी उन्हें मारने की साजिश रची गई थी जब वे आषाढ़ी एकादशी के वक्त पंढरपुर के दौरे पर थे. गढ़चिरोली का संरक्षक मंत्री होने की वजह वे नक्सलियों के निशाने पर भी थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य की पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज करने को कहा है. इसके अलावा पीएफआई के खिलाफ भी राज्य में कार्रवाइयां तेज हैं. ऐसे में सीएम शिंदे को जान से मारने की धमकी मिलने से खलबली मच गई है.
सीएम शिंदे ने दी जान से मारने की धमकी पर प्रतिक्रिया
इस बारे में अपनी प्रतिकिया देते हुए सीएम शिंदे ने मीडिया से कहा, ‘मुझे पहले भी धमकियां मिली हैं. कई बार धमकियां मिली हैं. मैं इन धमकियों की परवाह नहीं करता हूं. नक्सलियों की तरफ से भी धमकी के फोन आ चुके हैं. पुलिस और गृहविभाग मेरी सुरक्षा के लिए सक्षम हैं.’
क्या PFI की वजह से मिली धमकी?
देश भर में एनआईए ने राज्यों के एटीएस, पुलिस, ईडी जैसी एजेंसियों की मदद से पीएफआई के खिलाफ छापेमारियां की हैं. महाराष्ट्र के भी कई ठिकानों पर पीएफआई के कार्यालयों को सील किया जा रहा है और इस संगठन की कमर तोड़ी जा रही है. ऐसे में उन्हें जान से मारने की धमकी देने वाला कौन है और इसके पीछे कहीं ऐसा कट्टर संगठन तो नहीं है, या फिर किसी एक या कुछ व्यक्तियों के दिमाग का प्लान है, ये सब जानने की कोशिशों में एजेंसिंयां लगी हुई हैं.
पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए और राज्य एटीएस की कार्रवाइयों के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने पुणे में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इसी दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ये कार्यकर्ता ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए सुनाई दे रहे थे. इसके बाद सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने टफ स्टैंड लेते हुए पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने का आदेश दिया था. हालांकि पुणे पुलिस ने बाद में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए दर्ज हुए केस से देशद्रोह की धाराओं को हटा लिया.