महाराष्ट्र पुलिस का दावा, गिरफ्तार वामपंथी विचारकों ने की थीं विदेश में बैठकें, JNU को लेकर कही ये बड़ी बात
मुंबई: महाराष्ट्र पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि माओवादियों के साथ संबंध रखने के संदेह में गिरफ्तार किये गये कुछ वामपंथी कार्यकर्ताओंने विदेशों में बैठकें की थीं और वे वहां विभिन्न संगठनों के संपर्क में थे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) परमबीर सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जून और इस हफ्ते गिरफ्तार किये गये कार्यकर्ताओं से मिले पत्रों में पेरिस में और कुछ अन्य देशों में बैठकें आयोजित करने का जिक्र है. उन्होंने कहा, ‘वे अन्य देशों में (ऐसे ही) संगठनों के संपर्क में भी थे और वे (अपने मुद्दों को) जोर-शोर से उठाने के लिए उनके साथ तालमेल बनाकर चलते थे’. उन्होंने कहा कि पत्रों में फ्रांस और अमेरिका में ‘दार्शनिकों की बैठकों’ का उल्लेख है. हालांकि उन्होंने इनमें से किसी भी बैठक का समय नहीं बताया. सिंह ने बताया कि माओवादी पदाधिकारी कामरेड प्रकाश द्वारा कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बेडे को लिखे गये पत्र में (कोरेगांव-भीमा हिंसा के) मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की जरुरत का जिक्र है.प्रकाश का पत्र कहता है, ‘‘समान विचारधारा वाले कई कार्यकर्ता और समूह दलितों और अल्पसंख्यकों के दमन को जोर-शोर से उठाने के लिए हमारे साथ आए हैं. केंद्रीय समिति (माओवादियों की) दलित मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित करने के लिए 10 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित करने पर राजी हो गयी है’. प्रकाश ने पेरिस में मानवाधिकार कन्वेंशन के लिए धन भेजने का उल्लेख किया है जिसमें तेलतुम्बेडे को शिरकत करनी थी. सिंह ने कहा, ‘‘गिरफ्तार आरोपी विद्यार्थियों और युवकों के बीच माओवादी एजेंडा फैला रहे थे. वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के विद्यार्थियों की भूमिगत काम और चरमपंथ में भागीदारी के लिए उनके दिमाग में जहर घोल रहे हैं’. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार कार्यकर्ता सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं. गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के विद्यार्थी उमर खालिद एल्गार परिषद में कथित नफरत भरे भाषण के लिए जांच के दायरे में हैं.उन्होंने कहा कि कुछ गिरफ्तार कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर को पुणे में एल्गार परिषद का आयोजन करने के लिए 15 लाख रुपये दिये थे. ये पैसे माओवादियों की केंद्रीय समिति से मिले थे. पुणे पुलिस ने कई राज्यों में 28 अगस्त को प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा था और उनमें से पांच, वरवरा राव, वेरोन गोंजाल्विस, अरुण फेरारिया, सुधा भारद्वाज और गौतम नवालखा, को गिरफ्तार किया था. एल्गार परिषद की जांच को लेकर ये छापे मारे गये थे. इस परिषद की वजह से कथित रूप से अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा फैली थी. महाराष्ट्र पुलिस का यह भी कहना है कि वरवर राव ने हथियारों की खरीद में अहम भूमिका निभायी थी. सिंह ने कहा कि रोना विल्सन के लैपटॉप से प्राप्त पत्र हथियारों की खरीद का जिक्र करता है. उन्होंने पत्र के हवाले से कहा, ‘‘मैं (हथियारों की खरीद के लिए) नेपाल में निर्धारित व्यक्ति के संपर्क में हूं. मणिपुर में हमारे कामरेड भी इसमें मदद कर सकते हैं, लेकिन केवल वी वी (वरवर राव) ही उनसे संवाद के लिए अधिकृत हैं’’. विल्सन द्वारा कामरेड प्रकाश को लिखे गये पत्र में कहा गया है, ‘इससे हमें प्रक्रिया में तेजी लाने में लाभ मिलेगा और बिल्कुल तैयार हथियार मिलेंगे. हम विभिन्न राज्यों में दर्जनों-दर्जन कामरेडों को गंवा रहे हैं’. सिंह ने पत्र के हवाले से कहा कि सुरेंद्र गाडलिंग और राव दुश्मन को बड़ा नुकसान पहुंचाने की जरुरत महसूस करते थे, यह एक ऐसी चीज थी जो माओवादी 2013 से नहीं कर पाए थे.