महीने में चौथी बार दिल्ली एनसीआर की हालत खराब, प्रदूषण 500 के पार; सांस में ले रहे औसतन 25 सिगरेट का धुआं

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर नया रिकॉर्ड बना रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि दिल्ली एनसीआर में स्कूल-कॉलेजों को आज और कल के लिए बंद कर दिया गया है। आज दिल्ली के अलावा गाजियाबाद और नोएडा में भी सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं। आज सुबह दिल्ली के मुंडका में एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा 556 दर्ज किया गया जबकि रोहिणी में 542 प्वाइंट दर्ज किया गया। इसके अलावा दिल्ली से सटे नोएडा की हालत तो और भी खराब है। यहां आज सुबह एक्यूआई 580 दर्ज की गई।

बता दें कि आज महीने का चौथा दिन है जब प्रदूषण का स्तर 500 को पार कर चुका है। ये दिल्ली-एनसीआर पर सबसे बड़ा संकट है। हवा में ऑक्सीजन नहीं बल्कि बचा है तो आहिस्ता आहिस्ता मौत देने वाला जहर जो हर दिन फेफड़े और शरीर को मौत के करीब ले जा रहा है। दिल्ली में एयर इमरजेंसी जैसे हालात हो चले हैं।

बिगड़े हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर के स्कूल-कॉलेज 15 नवंबर तक बंद कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं, लोगों को हिदायत दी गई है कि अगर जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें। इसके अलावा नोएडा, गाजियाबाद, फरिदाबाद, गुड़गांव, ग्रेटर नोएडा, बहादुरगढ़ में फैक्ट्रियों पर ताला लगा दिया गया है। साथ ही स्टोन क्रशर कंपनियों को कुछ दिनों के लिए बंद किया गया है।

दिल्ली के फेफड़ों में औसतन 25 सिगरेट का धुआं
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को सीधे शब्दों में बताएं तो यहां रहने वाला हर शख्स हर दिन औसतन 25 सिगरेट का धुंआ सांसों के जरिए ले रहा है। नवंबर का लगभग आधा महीना बीतने वाला है लेकिन एक दिन को छोड़कर दिल्ली के लोगों को अब तक किसी भी दिन साफ-सुथरी हवा सांस लेने को नहीं मिली है और मौसम विभाग का अनुमान बताता है कि आने वाले दो दिनों तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे।

दिल्ली में क्यों लौटा प्रदूषण?
ऐसे में सवाल ये है कि आखिर जो प्रदूषण दिल्ली से निकल चुका था वो वापस लौट कर क्यों और कैसे आ गया? दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ गए हैं। पिछले 2 दिनों में पराली जलाने के तकरीबन 1500 मामले सामने आए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की 25% वजह पराली का जलना है। एक दिन पहले पराली से होने वाले प्रदूषण में 18% की बढ़ोतरी हो गई।

ये तो सिर्फ एक वजह है। अब जरा दूसरी वजह पर नजर डालिए। कुछ दिन पहले तक दिल्ली में हवा 20 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी लेकिन अब ये हवा 4 से 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही है। कम रफ्तार के चलते प्रदूषित हवा दिल्ली और एनसीआर से आगे नहीं बढ़ पा रही है। ठंड बढ़ने के साथ हवा में नमी का स्तर भी बढ़ गया है जिसकी वजह से पॉल्यूशन पार्टिकल्स छंट नहीं पा रहे। प्रदूषण बढ़ने के लिए दो दिनों तक ऑड ईवन में मिली छूट को भी वजह माना जा रहा है।

कितना जानलेवा है ये प्रदूषण?
पीएम 2.5 की वजह से धमनियों में रक्त बहने की स्पीड कम हो जाती है। ये शून्य से 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होनी चाहिए लेकिन पीएम 2.5 की वजह से ये 292 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक हो जाती है। यानी दिल्ली में प्रदूषण दिल्लीवालों के फेफेड़े और हार्ट को भी डैमेज कर रहा है।

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज कुमार ने कहा, “आप देखिए कि 10 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर अगर आपका पीएम 2.5 बढ़ता है तो 4 फीसदी ओवर ऑल मौत के आंकड़े बढ़ते हैं। 6 फीसदी कार्डियोवैस्कुलर से जुड़े मौत के आंकड़े बढते हैं और फेफड़ों से जुड़ी समस्या से 8 फीसदी तक मौत के आंकड़े बढ़ जाते हैं। तो ये काफी महत्वपूर्ण कारण हैं जिससे सांस से जुड़ी बीमारियां बढ़ जाती हैं प्रदूषण के समय में या फिर जो पहले से जूझ रहे हैं। फेफड़ों से जुड़ी या फिर सांस से जुड़ी बीमारियों से उनके लिए ये जानलेवा साबित होती है।“

पिछले 5 साल में दिल्ली को मिली सिर्फ 61 दिन अच्छी हवा
बता दें कि दिल्ली के बारे में नई रिसर्च के मुताबिक पिछले 5 साल में दिल्ली को सिर्फ 61 दिन अच्छी हवा मिली। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जरूरत पड़ने पर ऑड-ईवन को 15 नवंबर से आगे भी बढ़ाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में ऑड-ईवन को मूलाधिकार का उल्लंघन बताया गया है।

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