मालदीवः राजधानी माले में भीषण अग्निकांड, हादसे में मारे गए 9 भारतीय
मालदीव की राजधानी माले में भीषण आग लगने की वीभत्स घटना हुई है. इस वजह से 9 भारतीय लोगों समेत 10 की मौत हो गई जबकि कई लोगों के घायल होने की खबर है. मारे गए लोगों में एक बांग्लादेश का नागरिक भी शामिल है. आग बुझाने में लगे दमकल के अधिकारियों ने बताया कि आग इतनी भीषण लगी थी कि इसे बुझाने में 4 घंटे लग गए. माले स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस अग्निकांड पर दुख जताया और किसी भी तरह के मदद के लिए 2 नंबर भी जारी किए हैं.
जधानी माले में आज गुरुवार को विदेशी कामगारों के तंग घरों में आग लगने की वजह से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए. भारत के पड़ोसी द्वीप समूह की राजधानी जिसे एक अपमार्केट हॉलिडे डेस्टिनेशन के रूप में भी जाना जाता है, और दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है.
उच्चायोग ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर्स
हादसे के बारे में अधिकारियों ने कहा कि आग में नष्ट हुई एक इमारत की ऊपरी मंजिल से 10 शव बरामद किए गए. ग्राउंड फ्लोर के गैरेज में आग लगने की वजह से यह हादसा हो गया. माले स्थित मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने आग की इस दुखद घटना पर दुख व्यक्त किया.
भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा, “हम माले में हुए दुखद आग की घटना से बहुत दुखी हैं, जिसमें कथित तौर पर भारतीय नागरिकों सहित कई लोगों की जान गई है. हम मालदीव के अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में हैं. किसी भी सहायता के लिए उच्चायोग से इन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है- +9607361452; +9607790701.
दमकल सेवा के एक अधिकारी ने हादसे के बारे में कहा, “हमें अब तक 10 शव मिले हैं.” उनका कहना है कि आग बुझाने में उन्हें करीब चार घंटे का वक्त लगा. एक सुरक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि मृतकों में नौ भारतीय और एक बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं.
मालदीव विदेशी मजदूरों के लिए बेहद बदनाम रहा है. मालदीव के कई राजनीतिक दलों की ओर से विदेशी मजदूरों के रहने के लिए खराब स्थितियों की आलोचना की जाती रही है. ऐसा माना जाता है कि राजधानी माले की 250,000 की आबादी का करीब आधा हिस्सा विदेशी मजदूरों का है. और इनमें से ज्यादातर बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका से आते हैं.मालदीव में विदेशी मजदूरों के लिए रहने की स्थिति बेहद खराब है. यह मामला तब सामने आया जब कोविड-19 महामारी के दैरान स्थानीय लोगों की तुलना में विदेशी मजदूरों में कोरोना के मामले तेजी से फैले थे.