मौद्रिक नीति समीक्षा: RBI आज जारी करेगा मॉनिटरी पॉलिसी, बाजार को रेपो रेट में कटौती की उम्मीद
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से आज चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान किया जाएगा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को लेकर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कस्टमर्स को सस्ते कर्ज का तोहफा मिल सकता है। बाजार को केंद्रीय बैंक से बहुत उम्मीदें हैं।नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मौद्रिक समीक्षा है।
माना जा रहा है कि पॉलिसी दरों में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है। अगर आरबीआई ऐसा करता है तो यह लगातार तीसरा मौका होगा जब वह ब्याज दरों में कटौती होगी। संभावना है कि रेपो रेट में 25 प्वाइंट्स की कटौती की जा सकती है। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती का कदम उठा सकता है, लेकिन, बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई संतोषजनक स्तर पर है, जिस वजह से केंद्रीय बैंक परंपरागत से हटकर ब्याज दरों में कुछ अधिक की कमी कर सकता है। परंपरागत तौर पर रिजर्व बैंक 25 प्वाइंट्स या 50 प्वाइंट्स की कटौती करता है या फिर बढ़ोतरी करता है।
जानकारों का भी कहना है कि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर (GDP) पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है, जिसके चलते रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है। एमपीसी की पिछली दो बैठकों में भी पॉलिसी रेट में चौथाई-चौथाई फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
हालांकि, विश्व बैंक ने आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी है। विश्व बैंक के अनुसार, अगले तीन साल तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत रह सकती है। उसने कहा कि महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे है जिससे मौद्रिक नीति सुगम रहेगी। इसके साथ ही ऋण की वृद्धि दर के मजबूत होने से निजी उपभोग एवं निवेश को फायदा होगा।
फरवरी से दो बार घटी दरें, बैंकों ने नहीं दिया फायदा
बता दें कि आरबीआई मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा आज करेगा। रिजर्व बैंक फरवरी से 2 बार में रेपो रेट में कुल मिला कर 0.50 फीसदी कटौती कर चुका है। मौजूदा समय में रेपो रेट 6 फीसदी है, केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को इसी दर पर एक दिन के लिए धन उधार देता है। नीतिगत दर में कमी के बावजूद बैंकों ने कर्ज की दर में औसतन केवल 0.05 फीसदी तक की ही कटौती की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत दर में कटौती के असर का धीमा होना हमारे इस तर्क का महत्वपूर्ण आधार है कि रिवर्ज बैंक जून में नीतिगत दरों को वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगा।