म्यामांर में सेना का तख्तापलट, स्टेट काउंसलर सू की नजरबंद, आर्मी कमांडर-इन-चीफ को देश की कमान
नेपीता। म्यामांर में सेना ने तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंद कर लिया है। मीडिया में आयी खबरों में यह जानकारी दी गयी। ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यामां नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि सू की और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि समाचार पोर्टल पर विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है।नेपीता में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं और सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामां के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी। सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सू ची (75) देश की सबसे अधिक प्रभावी नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं। म्यामां में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमिशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था।
इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया। मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना ‘‘संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी।’’ कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गयी। हालांकि शनिवार को सेना ने तख्तापलट की धमकी देने की बात से इनकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया। अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे म्यामां में हो रहे घटनाक्रम की खबरों से अवगत हैं हालांकि वे तख्तापलट और नेताओं को हिरासत में लिये जाने की पुष्टि नहीं कर सके।