यूपी सरकार विधानसभा में फिर से पेश करेगी ‘यूपीकोका बिल’
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार मंगलवार (27 मार्च) को अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) को एक बार फिर से विधानसभा में पेश करेगी. आपको बता दें कि योगी सरकार ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान वाला एक विधेयक पेश किया था. इस विधेयक को विधानमण्डल के निचले सदन में पिछली 21 दिसम्बर को पारित किया जा चुका था, लेकिन विधेयक विधानपरिषद में पास नहीं हुआ.
विपक्ष की एकजुटता के कारण गिरा
इस विधेयक को विधानमण्डल के निचले सदन में पिछली 21 दिसम्बर को पारित किया जा चुका है, लेकिन विधेयक विधान परिषद में पास नहीं हुआ. विधेयक को विधान परिषद में पेश किया गया लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. वहां से लौटाने के बाद गत 13 मार्च को सरकार द्वारा इस पर विचार का प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण गिर गया. लिहाजा अब प्रक्रिया के तहत इसे फिर से विधानसभा में पेश किया जाना है.
विपक्ष कर रहा है विरोध
विपक्ष इस कानून बनाने का कड़ा विरोध कर रहा है. इस विधेयक को लेकर विपक्ष का कहना है कि विधेयक के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग अल्पसंख्यकों, गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ हो सकता है. विपक्ष का कहना है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए इसे पारित कराना चाहती है.
यूपीकोका का उद्देश्य
योगी सरकार इस बिल को उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ाने और कानून व्यवस्था का माहौल दुरुस्त करने में अहम योगदान देने वाला बताया था. आपको बता दें कि विधेयक के उद्देश्य और कारण में कहा गया है कि मौजूदा कानूनी ढांचा संगठित अपराध के खतरे के निवारण एवं नियंत्रण के अपर्याप्त पाया गया है. इसलिए संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने के लिए संपत्ति की कुर्की, रिमांड की प्रक्रिया, अपराध नियंत्रण प्रक्रिया, त्वरित विचार एवं न्याय के मकसद से विशेष न्यायालयों के गठन और विशेष अभियोजकों की नियुक्ति तथा संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने की अनुसंधान संबंधी प्रक्रियाओं को कड़े एवं निवारक प्रावधानों के साथ विशेष कानून अधिनियमित करने का निश्चय किया गया है. विधेयक में संगठित अपराध को विस्तार से परिभाषित किया गया है.
सजा का है प्रावधान
विधेयक में संगठित अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान भी किया गया है. संगठित अपराध के परिणामस्वरुप किसी की मौत होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की व्यवस्था है. इसके साथ ही न्यूनतम 25 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है. किसी अन्य मामले में कम से कम 7 साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है और न्यूनतम 15 लाख रुपये का अर्थदंड भी प्रस्तावित है. विधेयक संगठित अपराध के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए विशेष अदालत के गठन का प्रावधान करता है.