राजस्थान के राज्यपाल ने विस सत्र का प्रस्ताव तीसरी बार लौटाया, कोरोना के बढ़ते संक्रमण का दिया हवाला
जयपुर: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को राज्य सरकार के एक प्रस्ताव को तीसरी बार वापस लौटा दिया, जिसमें एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के इस कदम को एक ‘प्रेम पत्र’ कहा है, और इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों के प्रति नरमी भी दिखाई है। अधिकारियों ने कहा कि राज्यपाल ने राजस्थान में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को लेकर आपत्ति उठाई है और फिर से जानना चाहा है कि विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में सोशल डिस्टैंसिंग कैसे रखी जाएगी।
राज्यपाल ने लिखा है, ”विधानसभा का पंचम सत्र आहूत करने को 23 जुलाई को फाइल आई थी राजनीतिक परिस्थितियों के चलते इस पर विधिक राय ली गई कैबिनेट ने प्रस्ताव में ना तो सत्र बुलाने के निर्णय का अनुमोदन किया ना ही प्रस्ताव में तिथि का उल्लेख किया गया था इसलिए यह प्रस्ताव मंजूर किया जाना संभव नहीं था। सत्र का प्रस्तावित एजेंडा व सत्र आहूत करने का कारण नहीं था, अनावश्यक तत्परता दिखाई जाने का कोई औचित्य नहीं था। दूसरी बार प्रस्ताव में 31 जुलाई से सत्र आहूत करने का जिक्र था लेकिन राज्यपाल के पहली बार के सवालों का जवाब नहीं दिया गया था बल्कि राज्यपाल के अधिकारों की सीमाओं के बारे में बताया गया इस कारण प्रस्ताव को लौटाना पड़ा, तीसरी बार के प्रस्ताव में भी राज्यपाल के सवालों के जवाब नहीं है।”
राज्यपाल ने कहा कि नियम अनुसार सदन आहूत करने में हमें कोई आपत्ति नहीं है। संविधान प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में 21 दिन के नोटिस पर सत्र बुलाया जा सकता है लेकिन विशेष परिस्थिति है तो प्रदेश सरकार इसका हवाला दे। इस बीच, मिश्रा द्वारा प्रस्ताव लौटाने के बारे में जानकारी मिलने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से मिलने पहुंचे। गहलोत ने यहां राज्य कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के राज्यपाल की तरफ से एक ‘प्रेम पत्र’ आया है। उन्होंने मुलाकात से पहले पार्टी कार्यालय में कहा, “मैं उनसे मिलने जा रहा हूं और पूछूंगा कि वह क्या चाहते हैं।”
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के इंकार को दूसरी बार प्रेम पत्र कहा है। इसके पहले उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायकों को संबोधित करते हुए किया था। गहलोत ने दावा किया है कि उनकी सरकार को गिराने की एक साजिश रची गई है। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी एक राजनीतिक साजिश के खिलाफ मजबूती से खड़ी है।
असंतुष्टों पर नरमी बरतते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने अतीत में कांग्रेस को धोखा दिया है, वे पार्टी खेमे में लौट सकते हैं और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी माग लें। उन्होंने कहा, “70 सालों में पहली बार किसी राज्यपाल ने इस तरह के सवाल उठाए हैं। क्या आप समझ सकते हैं कि देश कहां जा रहा है?” मुख्यमंत्री पीसीसी के कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां नए पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कार्यभार ग्रहण किया।
राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गए प्रथम दो प्रस्तावों को राज्यपाल द्वारा खारिज किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए मंगलवार को एक तीसरा प्रस्ताव राज भवन भेजा था।