राफेल सौदा: यशवंत सिन्हा, शौरी का आरोप- यह बोफोर्स से बड़ा घोटाला, रक्षा मंत्री ने किया पलटवार
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और अरुण जेटली ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संबंध में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा तथा अरुण शौरी के आरोपों को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार के दोनों शीर्ष मंत्रियों ने कहा कि सरकार इस संबंध में संसद में पहले ही जवाब दे चुकी है. इससे पहले कांग्रेस के बाद भाजपा के दो पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने राफेल डील पर केंद्र सरकार को घेरा था. दोनों नेताओं ने पूर्व आप नेता प्रशांत भूषण के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने इस मामले में सरकार पर सवाल उठाए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने कहा कि राफेल सौदा ‘‘याद रखा जाने वाला आपराधिक कदाचार’’ का मामला है. यह बोफोर्स घोटाले से भी काफी बड़ा घोटाला है. उन्होंने मांग की कि सौदे की जांच एक निर्धारित समय में कैग द्वारा कराई जानी चाहिए.
यशवंत सिन्हा और शौरी ने अधिवक्ता-कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने से जुड़े 58,000 करोड़ रुपये के सौदे के संबंध में कई सवाल उठाए. राजग सरकार के कटु आलोचक के रूप में जाने जाने वाले इन तीनों लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अकेले ही सौदे से जुड़े मानकों को बदलने का आरोप लगाया और कहा कि सौदे को अंतिम रूप में देने में आवश्यक प्रक्रियाओं का गंभीर उल्लंघन किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि समूचा सौदा ‘आपराधिक कदाचार, सार्वजनिक पद के दुरुपयोग और राष्ट्रीय हित तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर पक्षों को संपन्न बनाने का अनूठा मामला है.’ तीनों लोगों ने कहा कि सरकार ने तथ्यों को ‘‘छिपाने’’ का प्रयास किया.
कांग्रेस राफेल सौदे में भारी अनियमितताओं के आरोप लगाती रही है. उसका कहना है कि सरकार एक राफेल विमान के लिए 1,670 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है, जबकि संप्रग सरकार ने 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए एक राफेल की कीमत का सौदा 526 करोड़ रुपये में किया था. सिन्हा, शौरी और भूषण ने सरकार के इस तर्क को भी खारिज किया कि विमानों की कीमत उनमें विशिष्टताओं तथा विशिष्ट हथियार प्रणालियों की वजह से बढ़ गई.
राफेल सौदे को देश का अब तक का ‘सबसे बड़ा रक्षा घोटाला’ करार देते हुए भूषण ने आरोप लगाया कि इससे सरकारी खजाने को कम से कम 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जेटली ने कहा, ‘सरकार के खिलाफ अपुष्ट आरोप कुछ नहीं, बल्कि उन शक्तियों द्वारा झूठ को फिर से झाड़-फूंककर पेश किया जाना है जो अपनी प्रासंगिकता साबित करने में लगातार हताश होती जा रही हैं. सरकार ने पहले ही इस मुद्दे पर विकृत कर पेश की गयीं चीजों एवं दुष्प्रचार का प्रभावी तरीके से जवाब दे दिया था.’
उन्होंने कहा कि ये आरोप राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के लिए 2016 में दो सरकारों के बीच हुए समझौते के बारे में झूठ और मनगढ़ंत तथ्य फैलाकर सरकार को बदनाम करने की बस एक और कोशिश हैं. उन्होंने कहा कि यह और भी निंदनीय है कि सरकार की छवि धूमिल करने की नयी कोशिश संसद में ऐसी ही कोशिश के औंधे मुंह गिरने के लगभग दो हफ्ते बाद की गई है.