राष्ट्रपति बायडेन ने भारत की तारीफ] पीएम मोदी के साथअहम मुद्दों पर हुई बात

वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बायडेन के बीच हुई बैठक में दोनों नेताओं ने कोरोना महामारी समेत कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात रखी। दोनों नेताओं ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के समय अमेरिका के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। वहीं राष्ट्रपति बायडेन ने करोना वैक्सीन निर्यात के लिए भारत की तारीफ की। पीएम मोदी ने ट्रस्टीशिप , टेलेंट, ट्रेडिशन, ट्रेड, टेक्नोलोजी का ज़िक्र किया। ये जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक प्रेसवार्ता में दी।

उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय का H1B वीज़ा के मुद्दे को उठाया और बताया कि कैसे भारतीय समुदाय जो अमेरिका में काम करता है वह प्रभावित होगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के मुद्दे और सामरिक मुद्दों पर बात हुई। भारत और अमेरिका के बीच  उच्च तकनीक के मुद्दे पर ख़ास तौर से बात हुई। दोनों देशों के बीच अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर विस्तार से बातचीत हुई। UNSC के प्रस्ताव 2593 के मुताबिक़ अफगानिस्तान की सरकार होनी चाहिए। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता पर राष्ट्रपति बायडेन ने कहा कि भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होना चाहिए। दोनों देशों के बीच आतंकवाद पर चिंता जताई और आतंकवाद के मुक़ाबले के मुद्दे पर और ज़्यादा सहयोग पर सहमति बनी। अफ़ग़ानिस्तान पर विस्तार से बातचीत हुई। अंतरिक्ष में सहयोग, ट्रेड को बढ़ाने और तकनीक साझा करने पर भी बातचीत हुई।

वहीं क्वाड के नेताओं के साथ बैठक में पीएम मोदी ने हिस्सा लिया और यह पहली इन पर्सन बैठक हुई। इस बैठक मेंसमकालीन विषयों पर चर्चा हुई, अफ़ग़ानिस्तान पर, कोविड, वैक्सीन और उभरती तकनीक पर बात हुई।  पीएम ने ऐलान किया कि अक्टूबर के अंत तक 1 मिलियन डोज़ क्वाड देशों को भारत देगा। इस बैठक में जलवायु परिवर्तन और सौर ऊर्जा पर चर्चा हुई।  भारत ने बताया कि वो क्लीन हाइड्रोजन मिशन पर भी तेज़ी  से काम कर रहा है।

इस मुद्दे में सौहार्द और  सिक्योरिटी के मुद्दे पर बात हुई, इसके लिए तकनीकी सहयोग सभी क्वाड देशों के बीच किए जाने की बात कही गई। वहीं आतंकवाद पर भी चर्चा हुई और कड़ी करवाई पर सहमति बनी।ख़ास तौर पर आतंकवाद पर फ़र्ज़ी वायदे (पाकिस्तान) पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ऐसी ही कड़ी भाषा अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी रही।

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