राहुल गांधी का चुनाव आयोग को सुझाव, निष्पक्ष और गैर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने को कहा
नई दिल्ली: समझा जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करते वक्त निष्पक्ष और गैर भेदभावपूर्ण रहे, साथ ही उन्होंने कहा है कि आदिवासियों के बारे में उन्होंने जो बयान दिया था उसमें उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है। दरअसल, राहुल गांधी ने अपने एक बयान में दावा किया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐसा नया कानून बनाया है जिसमें आदिवासियों को गोली मारने की अनुमति दी गई है।
चुनाव आयोग के कारण बताओ नोटिस के जवाब में समझा जाता है कि राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने भारतीय वन कानून में प्रस्तावित संशोधन को अपने एक राजनीतिक भाषण में संक्षिप्त कर सरल ढंग से समझाने का प्रयास किया था। उन्होंने आयोग से यह भी कहा कि उनकी मंशा अपुष्ट तथ्यों का बयान कर लोगों को बहकाने की नहीं थी। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से राष्ट्रीय दलों के नेताओं के लिए एक स्तर सुनिश्चित करने के अलावा “निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण, गैर-मनमाना और संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए” भी कहा।
उन्होंने दावा किया कि उनके भाषण के दौरान उनके द्वारा आदर्श आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं किया गया था और उनकी आलोचना मोदी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यों तक ही सीमित थी। मध्य प्रदेश के शहडोल में 23 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण का उद्धरण देते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें एक मई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह नोटिस उन्हें आदर्श आचार संहिता के उस प्रावधान के तहत दिया गया था जो राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अपुष्ट आरोप लगाने से निषिद्ध करता है।
भाजपा के दो कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी जिसके बाद मप्र के चुनाव अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी।