रूस ने कहा, यूक्रेन के हेलीकॉप्टरों ने हमारे इलाके में घुसकर की बमबारी
मॉस्को: रूस ने दावा किया है कि गुरुवार को ब्रांस्क क्षेत्र के सीमावर्ती गांव क्लिमोवो पर यूक्रेन के 2 हेलीकॉप्टरों ने हमला किया था। उसका दावा है कि हमले में कुल 7 लोग घायल हो गए थे। इस क्षेत्र के गवर्नर ने पहले हमले के लिए रूस की थलसेना को जिम्मेदार ठहराया था। हमले पर रूस की जांच समिति ने एक अपडेट जारी किया, जिसमें कहा गया कि यूक्रेन के 2 मिलिटरी अटैक हेलीकॉप्टर स्थानीय समयानुसार दोपहर के करीब 12 बजे कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए रूसी हवाई क्षेत्र में घुस गए।
बयान में कहा गया है कि हेलीकॉप्टरों ने गांव में बड़े हथियारों से हमला बोला, जिससे कम से कम 6 रिहाइशी इमारतों को नुकसान पहुंचा। जांचकर्ताओं ने कहा कि हमले में 7 लोग घायल हुए हैं और 6 घरों को नुकसान पहुंचा है। वहीं, यूक्रेन ने काला सागर में तैनात रूसी नौसेना के प्रमुख युद्धपोत को मिसाइल हमले के जरिए क्षतिग्रस्त करने का दावा किया है। यूक्रेन के मुताबिक, हमले के बाद रूसी युद्धपोत के चालक दल के सदस्यों को मजबूर होकर युद्धपोत छोड़ना पड़ा।
रूस ने यूक्रेन के पूर्वी इलाकों में हमले तेज किए
इस बीच, रूसी सेना ने यूक्रेन के पूर्वी इलाकों और मारियुपोल के आस-पास के इलाकों में हमले तेज कर दिए हैं। इन इलाकों में रूसी सेना को अभी भी कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। ओडेसा क्षेत्र के गवर्नर मक्सिम मार्चेंको ने कहा कि यूक्रेन की सेना ने रूसी युद्धपोत पर 2 मिसाइलों से हमला किया और उसे गंभीर क्षति पहुंचाई है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने युद्धपोत के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि ऐसा यूक्रेन की ओर से किए गए हमलों के कारण नहीं बल्कि पोत पर आग लगने के कारण हुआ और इसकी जांच की जा रही है। युद्धपोत को पूरी तरह से खाली करा लिया गया।
रूस के सैकड़ों लोगों पर मामले दर्ज किए गए
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन पर हमले का विरोध करने वाले अपने नागरिकों पर कार्रवाई भी की है। इनमें एक पूर्व पुलिस अधिकारी से लेकर पादरी और छात्र तक शामिल हैं। पिछले महीने रूसी संसद ने एक कानून पारित किया था जो यूक्रेन पर हमले और सेना का अपमान करने वाली ‘झूठी सूचना’ के प्रसार को अपराध करार देता है। इसके तहत रूस के सैकड़ों लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस कार्रवाई से आपराधिक अभियोजन होगा और कम से कम 23 लोगों को ‘झूठी सूचना’ फैलाने के आरोप में जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।