वाड्रा ने अपने फायदे के लिए राहुल और सोनिया गांधी पर डाला था दबाव: पात्रा

नयी दिल्ली। भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि एक कंपनी को दंडित करने संबंधी आयकर विभाग का आदेश रद्द कराने के लिए राबर्ट वाड्रा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर दबाव डाला था। दरअसल, इस कंपनी ने एक अन्य कंपनी को कर्ज दिया था ताकि वह राजस्थान में उनकी (वाड्रा की) भूमि खरीद सके। वाड्रा को ‘दागदार दामाद’ करार देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि 2010 में वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने करीब 70 लाख रुपये में 70 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी और उसे 2012 में ‘मूल दाम से सात गुना अधिक पर 5.15 करोड़ रुपये में अन्य कंपनी एलीजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी थी।

उन्होंने दावा किया कि भूषण पावर एवं स्टील लिमिटेड (बीएसपीएल) ने वह जमीन खरीदने के लिए एलीजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड को 5.64 करोड़ रुपये का बिना गारंटी वाला लोन दिया। उसी अवधि में बीएसपीएल को टैक्स नोटिस मिला जिसमें 2004-2005 से 2011-12 तक के उसके टैक्स रिटर्न में विसंगतियों का हवाला दिया गया था। बीएसपीएल को उसके रिटर्न में आये फर्क के लिए 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया।

भाजपा प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘बीएसपीएल ने इस आदेश के विरुद्ध अपील करते हुए आयकर विभाग के निस्तारण आयोग को पत्र लिखा। आयोने कहा कि कंपनी को 500 करोड़ रूपये का भुगतान करना होगा। आयोग ने अभियोजन और जुर्माने के मामले में बीएसपीएल को कोई छूट नहीं दी।’ उन्होंने दावा किया कि आयोग ने एक पीठ पुनर्गठित की जिसने पिछले आदेश को निरस्त किया और कंपनी को 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा। पात्रा ने कहा कि चूंकि भूषण स्टील ने राबर्ट वाड्रा से भूखंड खरीदने के लिए पैसा दिया था, ऐसे में उन्होंने (वाड्रा ने) सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आयकर विभाग को जुर्माना माफ करने के लिए कहने और बीएसपीएल को दंड से बचाने के लिए दबाव बनाया। यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है।उन्होंने कहा कि यह स्काईलाइट होस्पिटेलिटी, एलीजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड और भूषण स्टील को परस्पर एक दूसरे को लाभ पहुंचाने का मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के दुरूपयोग के जरिये बेहिसाब धन बनाया गया। पात्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कठपुतली प्रधानमंत्री करार देते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचारों की अनदेखी की।

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