विधानसभा उपचुनाव में बीएसपी के अकेले लड़ने के फैसले पर अखिलेश यादव ने कहा- मुझे इसकी जानकारी नहीं
नई दिल्ली: एक ओर जहां बीसपी सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है. जिस समय मायावती ने अपने पार्टी नेताओं के बीच यह फैसला कर रही थीं उसी समय अखिलेश यादव आजमगढ़ में कार्यकर्ताओं की रैली को संबोधित कर रहे थे. इसके बाद मीडिया से उन्होंने बातचीत की. जब उनसे बीएसपी सुप्रीमो मायावती के इस फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है, मैं तो आजमगढ़ में हूं’. गौरतलब है कि सोमवार को मायावती ने अपने पार्टी नेताओं की बैठक में कहा है कि सपा के यादव वोट बीएसपी में ट्रांसफर नही हुए हैं, यहां तक अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी नहीं जिता पाए हैं. इसलिए पार्टी ने फैसला किया है कि राज्य में 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में वह अकेले लड़ेगी. बीएसपी सुप्रीमो का यह बयान एक तरह से महागठबंधन को तोड़ने का अनौपचारिक ऐलान जैसा है. बीएसपी नेता सुखदेव राजभर ने बताया कि बीएसपी चीफ ने कहा, एसपी-बीएसपी गठबंधन के नतीजे संतोषजनक नहीं रहे हैं. दोनों ने हार का सामना किया है. अब इसको कैसे सही किया जाए. मैं अखिलेश यादव जी का सम्मान करती हूं. उनको भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि उनके समुदाय के लोग समर्थन करते है या नहीं. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के विधायक हरीओम यादव ने कहा है कि मायावती को गठबंधन से फायदा हुआ है और समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान. अगर गठबंधन नहीं हुआ होता तो मायावती को एक भी सीट नहीं मिलती और सपा को कम से कम 25 सीटें मिलतीं. यादव समुदाय ने एक उनको वोट किया लेकिन उनका वोट बीजेपी को गया.
कुल मिलाकर ऐसा माना जा सकता है कि मायावती अब सपा के साथ गठबंधन के मूड में नही हैं. बसपा सामान्य तौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती है. मायावती ने पार्टी नेताओं से 11 विधानसभा सीटों के उप चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची बनाने के लिए कहा. यह उपचुनाव, इन विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने की वजह से होंगे. भाजपा के नौ विधायकों ने लोकसभा चुनाव जीता है, जबकि बसपा व सपा के एक-एक विधायक लोकसभा के लिए चुने गए हैं. इस बीच राज्य बसपा अध्यक्ष आर.एस.कुशवाहा ने संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा चुनावों में बसपा के खराब प्रदर्शन के लिए मुख्य तौर पर ईवीएम जिम्मेदार है. बसपा ने उत्तर प्रदेश में 10 लोकसभा सीटें जीती हैं। पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पार्टी सिर्फ पांच सीटें जीत सकी. राष्ट्रीय लोकदल ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा व एक भी सीट नहीं जीत सकी. दिलचस्प है कि मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब तक भविष्य के गठबंधन पर एक भी शब्द नहीं कहा है.