विनिर्माण क्षमता बढ़ने से रोजगार सृजन में वृद्धि होती है-PM मोदी
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम पर वेबिनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि निर्माण की बढ़ती क्षमताएं देश में रोज़गार के निर्माण को बढ़ाती हैं, भारत इसी अप्रोच के साथ तेज़ी से काम करना चाहता है। इस सेक्टर में हमारी सरकार निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक सुधार कर रही है। देश का बजट और देश के लिए पालिसी मेकिंग सिर्फ सरकारी प्रक्रिया न रहे, देश के विकास से जुड़े हर स्टेक होल्डर्स का इसमें इफेक्टिव एंगेजमेंट हो। इसी क्रम में आज मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, मेक इन इंडिया को ऊर्जा देने वाले आप सभी महत्वपूर्ण साथियों से चर्चा हो रही है। विनिर्माण अर्थव्यवस्था के हर पहलू को बदल देता है, एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है। विनिर्माण क्षमता बढ़ने से रोजगार सृजन में वृद्धि होती है। भारत उसी दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहता है। यही कारण है कि हमारी सरकार ने इस क्षेत्र में एक के बाद एक सुधार लाई है।
मोदी ने कहा कि हमारे उत्पादन लागत, गुणवत्ता और उत्पादों की दक्षता को वैश्विक बाजार में एक छाप छोड़नी चाहिए और हमें इसे संभव बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। हमारे उत्पादों को उपयोगकर्ता के अनुकूल, सबसे आधुनिक, सस्ती और टिकाऊ होना चाहिए। हमारे सामने दुनियाभर से उदाहरण हैं जहां देशों ने अपनी Manufacturing Capabilities को बढ़ाकर, देश के विकास को गति दी है। बढ़ती हुई Manufacturing Capabilities, देश में Employment Generation को भी उतना ही बढ़ाती हैं। हमारी सरकार मानती है कि हर चीज़ में सरकार का दखल समाधान के बजाय समस्याएं ज्यादा पैदा करता है। इसलिए हम Self-Regulation, Self-Attesting, Self-Certification पर जोर दे रहे हैं।
मोदी ने कहा कि ये PLI जिस सेक्टर के लिए है, उसको तो लाभ हो ही रहा है, इससे उस सेक्टर से जुड़े पूरे इकोसिस्टम को फायदा होगा। Auto और pharma में PLI से, Auto parts, Medical Equipments और दवाओं के रॉ मटीरियल से जुड़ी विदेशी निर्भरता बहुत कम होगी। Advanced Cell Batteries, Solar PV modules और Speciality Steel को मिलने वाली मदद से देश में Energy सेक्टर आधुनिक होगा। इसी तरह textile और food processing सेक्टर को मिलने वाली PLI से हमारे पूरे एग्रीकल्चर सेक्टर को लाभ होगा। आपने कल ही देखा है कि भारत के प्रस्ताव के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित किया है। भारत के इस प्रस्ताव के समर्थन में 70 से ज्यादा देश आए थे। और फिर U.N. General Assembly में ये प्रस्ताव, सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।