विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, जासूसी और किसानों के मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी विवाद और किसानों के विरोध को लेकर संसद में गतिरोध के बीच, सात विपक्षी दलों ने मंगलवार को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। हालांकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं सात विपक्षी दलों, जिनमें शिरोमणि अकाली दल (शिअद), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) शामिल हैं, ने राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है। पार्टियों ने राष्ट्रपति से भारत के संविधान और संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं की गरिमा को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने कहा, पार्टियों ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह सरकार को पेगासस मुद्दे और कृषि कानूनों पर संसद में चर्चा करने का निर्देश दें।
ये पार्टियां चाहती हैं कि राष्ट्रपति सरकार को पेगासस मुद्दे और कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए कदम उठाने का निर्देश दें।
हंगामे के बीच, सरकार मंगलवार को राज्यसभा में नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021 को पारित करने में सफल रही। हालांकि सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी और संसद में लगातार चौथे दिन कार्य नहीं हो सका।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उच्च सदन में उपनेता आनंद शर्मा ने कहा, एक बात बहुत स्पष्ट है कि संसद में गतिरोध का दोष पूरी तरह से सरकार का है। सरकार को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। सरकार की सार्थक चर्चा और बहस में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह सरकार संसद के माध्यम से भारत के लोगों के प्रति अपनी जवाबदेही में विश्वास नहीं करती है।
उन्होंने कहा, विपक्ष को सदन के अंदर ब्लैक आउट किया जा रहा है, इसलिए मीडिया के माध्यम से हम अपने लोगों से कहना चाहते हैं कि हम इस लड़ाई को जारी रखेंगे। सरकार जैसी है वैसी ही अडिग है, मगर हम उन्हें मजबूर करेंगे, जैसा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में किया जाता है। आओ और बहस करें, अगर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो आज ही बहस शुरू करें, विपक्ष तैयार है।