विपक्षी प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला, किसानों के मुद्दों पर हस्तक्षेप का अनुरोध

नई दिल्ली । विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और लंबा खिंचते जा रहे किसान आंदोलन को लेकर अपनी चिंता जताई। विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल, जिसने 25 राजनीतिक दलों के समर्थन का दावा किया है, ने राष्ट्रपति कोविंद से किसानों के मुद्दे में हस्तक्षेप करने और सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करने की सलाह देने का अनुरोध किया।

प्रतिनिधिमंडल की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें कहा गया कि है कि संसद में बहस किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से इन कृषि विधेयकों को पारित किया गया है, जिन्हें निरस्त किए जाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “किसान तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक कि कानून निरस्त नहीं हो जाते हैं। अगर ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर वे सड़कों पर क्यों हैं और क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने राष्ट्रपति को सूचित किया कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाना बेहद जरूरी है।

प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के नेता एलंगोवन शामिल रहे।

शरद पवार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, “सभी विपक्षी दलों ने कृषि विधेयकों पर गहन चर्चा के लिए अनुरोध किया था और कहा था कि इन्हें एक प्रवर समिति (सलेक्ट कमेटी) को भेजा जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और विधेयकों को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया।”

प्रतिनिधिमंडल के नेताओं का विचार है कि सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए। डी. राजा ने कहा, “एक राजनीतिक दल और विपक्ष के रूप में हम वापस बैठकर इसे नहीं देख सकते।”

विपक्षी नेता उन राजनीतिक दलों की कुछ दिनों में एक बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं, जिन्होंने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।

इस बीच किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए मसौदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सरकार ने एक लिखित मसौदा प्रस्ताव के माध्यम से अपना पक्ष रखा है, जिसमें उसने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के संबंध में दो मुख्य संशोधनों पर सहमति व्यक्त की है।

हालांकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसानों की सबसे बड़ी मांग को खारिज कर दिया है।

यह कदम राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले 14 दिनों से जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए था, जहां हजारों किसान सड़कों पर बैठे हैं। सरकार और किसानों के बीच पिछली पांच दौर की वार्ताओं में कोई समाधान नहीं निकल सका है।

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